इंदौर : इंदौर का सबसे पुराना और प्रसिद्ध होटल सयाजी एक बार फिर विवादों के घेरे में आगया है। विवादों में फंसते सयाजी को इससे काफी नुकसान होगा बल्कि उसकी साख पर भी बट्टा लगने के आसार नज़र आने लगे है। सयाजी सेलिब्रिटी की न सिर्फ पसंद है बल्कि विदेशी मेहमानो की पहली चाह भी रही है। बताया जा रहा है की होटल को फायर फाइटिंग की NOC मिले बिना ही भवन पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में नगर निगम के तत्कालीन भवन अधिकारी ज्ञानेंद्रसिंह जादौन और उपयंत्री राकेश मिश्रा के खिलाफ ट्रायल फिर शुरू होगा।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए निर्देश उपरांत विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई। लोकायुक्त ने फरवरी 2007 में होटल के प्रबंध संचालक साजिद धनानी के साथ जादौन व मिश्रा के खिलाफ विशेष न्यायालय में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में चालान प्रस्तुत किया था।
आरोप था कि अधिकारियों ने होटल प्रबंधन को अवैध लाभ पहुंचाया। विशेष न्यायालय ने आरोप तय किए तो आरोपियों ने उच्च न्यायालय में रिविजन याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने आरोपियों को डिस्चार्ज कर दिया। इस बीच धनाजी की मृत्यु हो गई। लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों अधिकारियों के खिलाफ ट्रायल की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त के पक्ष में आदेश पारित कर हाईकोर्ट का आदेश निरस्त कर दिया।
गुरुवार को विशेष न्यायाधीश बीके पालोदा ने सुनवाई करते हुए आरोपियों के आवेदन पर 25-25 हजार की जमानत दी। विशेष लोक अभियोजक डॉ.साकेत व्यास ने लोकायुक्त का पक्ष रख आरोपियों के खिलाफ विचारण प्रारंभ करने का निवेदन किया। अगली सुनवाई 16 जून को होगी। जादौन पर आरोप हैं कि उन्होंने फायर फाइटिंग की एनओसी के बगैर होटल प्रबंधन को भवन पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किया था।
इससे सरकार को करीब 5 लाख रुपए राजस्व का नुकसान हुआ। बदले में जादौन ने सयाजी की सदस्यता (क्रमांक 9005) प्राप्त की। मामले में तत्कालीन जोनल अधिकारी दिलीपसिंह चौहान को भी आरोपी बनाया गया था, लेकिन उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली।