शनि ग्रह में समा सकती हैं 763 पृथ्वी, जानिए रोचक जानकारी
शनि ग्रह में समा सकती हैं 763 पृथ्वी, जानिए रोचक जानकारी
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शनि ग्रह के बारे में ज्योतिष और खगोल विज्ञान दोनों के अलग अलग विचार हैं। खगोल विज्ञान के मुताबिक, शनि ग्रह आकार के अनुसार बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्लेनेट है। आकाश में यह पीले तारे के समान नज़र आता है। इसका गुरुत्व पानी से भी कम है। शनि ग्रह के तक़रीबन 82 उपग्रह है। अर्थात चंद्रमा की तरह उसके 82 चंद्रमा है। शनि का सबसे विशाल उपग्रह टाईटन है। यह आकार में बुध ग्रह के समान है। इसके अलावा फोबे, यूरोपा आदि उपग्रह है। फोबो उलटी दिशा में परिक्रमा करता है।

शनि ग्रह के चारों तरफ जो वलय है वह दूर से नीला दिखाई देता है। वैज्ञानिक इस वलय को लेकर अभी भी हैरान हैं कि आखिर ये वलय किस ‍चीज के बने हुए हैं। कहते हैं कि इसके चारों तरफ छोटे छोटे कणों से मिलकर यह वलय निर्मित हुआ होगा। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसके वायुमंडल में गैसीय संरचना है जिसमें हाईड्रोजन व हीलियम गैस मौजूद है। शनि के चारों तरफ 12 वलय हैं और 2 रिक्त स्थान।

खगोल विज्ञान के मुताबिक, शनि का व्यास पृथ्वी के व्यास से 9 गुना अधिक है, जबकि घनत्व 8 गुना कम है। 120.536 किलोमीटर का इसका भूमध्य रेखीय व्यास है। अपनी धुरी पर घूमने में शनि को 10 घंटे 34 मिनट का समय लगता है। कहते हैं कि शनि में तक़रीबन 763 धरतियां समा सकती हैं। इसका एक वर्ष धरती के 29.45 वर्ष बराबर का होता है।

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