शरत चंद्र बोस ने सियासी करियर शुरू होने से पहले ही काटी थी जेल की सजा
शरत चंद्र बोस ने सियासी करियर शुरू होने से पहले ही काटी थी जेल की सजा
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शरत चंद्र बोस का जन्म आज ही के दिन यानी 6 सितंबर 1889 को कटक ओडिशा में हुआ था,उनके माता और पिता का नाम, जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभाती देवी था। वह 24 परगना, पश्चिम बंगाल का रहने वाले थे। उनका सम्बन्ध कुलिन कायस्थ परिवार से था। इतना ही नहीं  उनके पिता महिनगर (दक्षिण 24 परगना) के बोस के वंशज थे, जबकि उनकी मां प्रभाती देवी उत्तरी कोलकाता के हाटखोला के प्रसिद्ध दत्त परिवार का हिस्सा थीं। उनके माता पिता के कुल 14 बच्चे थे जिनमे से छह बेटियां और आठ बेटे, उनमे वामपंथी नेता शरत चंद्र बोस, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील चंद्र बोस थे। कुछ इस तरह शुरू हुआ था पोलिटिकल करियर: वर्ष 1936 में शरत चंद्र बोस बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने, और 1936 से 1947 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रूप में उन्होंने काम भी किया।

सुभाष के भागने के बाद शरत बोस को कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल होने से एक दिन पहले ही गिरफ्तार कर लिया था, फजलुल हक सरकार में उन्हें मरकारा और फिर कुन्नूर  के जेल में शिफ्ट कर दिया था जिसके बाद से ही उनकी तबियत में गिरावट आने लगी। उन्हें 4 साल की जेल की सजा के बाद सितंबर 1945 में रिहा किया गया था। वहीं वर्ष  1946 से 1947 तक, शरत बोस ने केंद्रीय विधान सभा में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन का पुरजोर समर्थन किया और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। हम बता दें कि वर्ष 1945 में अपने भाई की मृत्यु की सूचना के बाद, शरत बोस ने INA रक्षा और राहत समिति के माध्यम से INA सैनिकों के परिवारों को राहत और सहायता प्रदान करने के प्रयासों का नेतृत्व किया।  जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में उन्हें मंत्री का पद, और भारत के वायसराय की अध्यक्षता में वर्ष 1946 को उन्हें वर्क्स, माइन्स एंड पॉवर्स के लिए अंतरिम सरकार का सदस्य नियुक्त किया गया।

इतना ही नहीं शरत बोस ने 1909 में अखोय कुमार डे और सुबाला डे की बेटी बिवाबती डे से शादी की। जिनसे उनके 8 बच्चे थे। उनके बच्चों में अशोक नाथ बोस जर्मनी से रसायन विज्ञान में डॉक्टरेट और प्रख्यात इंजीनियर शामिल थे, भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले अमिय नाथ बोस संसद सदस्य बने, और बर्मा में भारतीय राजदूत भी थे, शिशिर कुमार बोस, जो बाल रोग विशेषज्ञ और विधान सभा के सदस्य बने, और सुब्रत बोस, जो एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और संसद सदस्य भी थे। उनकी सबसे छोटी बेटी, प्रो. चित्रा घोष, एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद, एक सामाजिक वैज्ञानिक और संसद सदस्य भी हैं। उनके पोते, सुमंत्र बोस, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में तुलनात्मक राजनीति के प्रोफेसर हैं।

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