गोपालगंज : मंगलवार से रमजान शुरू हो गए है. इसी सिलसिले में पहले रोज़े के मौके पर मौलाना ने फरमाया है कि रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज है. रोजा रखने से बरकत होती है. इस दौरान की गयी एक नेकी का सौ गुना सवाब मिलता है.
जामा मसजिद के इमाम शौकत फहमी ने बताया, इसलाम के चार अहम रुक्नों में तीसरा रुक्ना रोजा है. सन् दो हिजरी में रोजा मुसलमानों पर फर्ज करार दिया गया है. रोजा बंदों की प्यारी इबादत है. खुदा की बारगाह में एक हदीस में आया है कि सारी इबादतों का बदला खुदा अपने फरिश्तों के हाथों अता फरमाता है.
इस महीने में एक रात ऐसी है जिसमें की गयी इबादत हजार महीनों में की गयी इबादत से कहीं बेहतर है. जब यह महीना आता है अल्लाह आसमान के दरवाजे खोल देता है. इसी तरह वह जन्नत के दरवाजे भी खोल देता है. इसी वजह से मुसलमान और महीनों के बजाय इस महीने में खुदा की इबादत कुछ ज्यादा ही करते हैं.