दलाईलामा ही चुनेंगे अपना उत्तराधिकारी, सालों पुरानी परंपरा रहेगी कायम
दलाईलामा ही चुनेंगे अपना उत्तराधिकारी, सालों पुरानी परंपरा रहेगी कायम
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धर्मशाला: हाल ही में 15वें दलाईलामा के चयन को लेकर धर्मशाला में प्रस्ताव पारित कर वरिष्ठ बौद्ध लामाओं ने चीन सरकार के दलाईलामा के पुनर्जन्म पर अधिकार के दावे को नकार दिया. उन्होंने साफ कहा कि दलाईलामा के चयन को लेकर चीन का कोई रोल नहीं है. जंहा धर्मशाला में बीते बुधवार की शाम को निर्वासित तिब्बत सरकार के धर्म एवं संस्कृति विभाग की ओर से तीन दिवसीय तिब्बती धार्मिक सम्मेलन शुरू हुआ. इसमें दुनिया भर से वरिष्ठ बौद्ध लामाओं और निर्वासित तिब्बत सरकार के नेताओं ने भाग लिया गया.

वहीं सूत्रों का कहना है कि इसमें दलाईलामा के पुनर्जन्म को लेकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ. इसमें कहा गया कि दलाईलामा के अगले पुनर्जन्म के विषय में निर्णय का अधिकार पूरी तरह से दलाईलामा का रहेगा. किसी सरकार या अन्य व्यक्ति के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा. यदि चीन सरकार दलाईलामा के लिए उम्मीदवार चुनती है तो तिब्बती लोग उस उम्मीदवार का सम्मान नहीं करेंगे और न ही मान्यता देंगे.

जंहा यह पता चला कि इस सम्मेलन के माध्यम से धार्मिक प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने संकल्प पारित करते हुए कहा कि दलाईलामा और तिब्बती लोगों के बीच का कार्मिक बंधन अविभाज्य रहा है. तिब्बती लोगों की वर्तमान स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है. सभी तिब्बती वास्तव में भविष्य में दलाईलामा के संस्थान और पुनर्जन्म की निरंतरता की कामना करते हैं. इसलिए हम दलाईलामा के लिए दृढ़ता से उसी का समर्थन करते हैं.

800 साल पुरानी तिब्बती बौद्ध परंपराओं का होगा निर्वहन: सूत्रों से मिली जानकरी के मुताबिक वरिष्ठ बौद्ध लामाओं ने कहा कि दलाईलामा के पुनर्जन्म को लेकर 800 साल पुरानी तिब्बती बौद्ध परंपराओं का निर्वहन ही किया जाएगा. यह पद्धति बुद्ध के मूल दर्शन के अनुरूप है और 800 साल पहले तिब्बत में शुरू हुई थी. 

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