देहरादून : उत्तराखंड में चली सियासी उठा पटक की बयार थमने का नाम ही नहीं ले रही है। राज्यपाल द्वारा बागी विधायकों को एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत भेजे गए नोटिस का नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद अब ये बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है। राज्यपाल ने सभी 9 बागी कांग्रेस विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों नहीं दल-बदल के आरोप में उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द किया जाए।
दूसरी ओर उतराखंड के सीएम हरीश रावत ने दावा किया है कि वो 28 मार्च को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे। रावत ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो जनता को गुमराह कर रही है। इस बीच उत्तराखंड बीजेपी के विधायकों ने शुक्रवार को पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में पूजा की और राज्य में बीजेपी की सरकार बनवाने की मन्नत मांगी। याचिका में विधान सभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत भेजे गए नोटिस को चुनौती दी गई थी।
याचिका में कहा गया है कि जवाब देने के लिए जो सात दिन का समय दिया गया, वो बेहद कम है। एक ओर जहां उतराखंड सरकार ने अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कपिल सिब्बल को हायर किया, तो वहीं बागी विधायकों ने अपने लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील दिनेश द्विवेदी और पूर्व अधिवक्ता यू के उनियाल को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया।