'सावरकर को गाली दो और मुस्लिमों के वोट लो..', क्या गुजरात चुनाव में इसी रणनीति पर हैं राहुल ?
'सावरकर को गाली दो और मुस्लिमों के वोट लो..', क्या गुजरात चुनाव में इसी रणनीति पर हैं राहुल ?
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अहमदाबाद: महाराष्ट्र से गुजर रही कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा‘ के बीच पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर पर सीधा हमला बोलकर एक नया सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी ने कल यानि गुरुवार (17 नवंबर) को दावा करते हुए कहा था कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी और जेल में रहने के दौरान उन्होंने डर की वजह से माफीनामे पर हस्ताक्षर करके महात्मा गांधी तथा अन्य समकालीन भारतीय नेताओं को धोखा दिया था। लेकिन, इन सबके बीच सियासी गलियारों में ये सवाल तैर रहा है कि, आखिर जानबूझकर सावरकर का मुद्दा उठाने के पीछे कांग्रेस की क्या मंशा रही होगी?

सूत्रों की मानें, तो राहुल गांधी ने ये सब खास रणनीति के तहत ही किया है। इसके लिए राहुल गांधी ने खुद ही मैदान तैयार किया था और भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उनकी शान में कसीदे पढ़ते हुए सावरकर को माफीवीर बताकर विवाद को जानबूझ कर हवा दी थी। इसीलिए जब प्रेस वार्ता में राहुल से सावरकर के बारे में सवाल किया गया, तो राहुल गांधी ने अपना तीर चल दिया। दरअसल, सियासी पंडितों का मानना है कि, ये सब एक खास वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए किया गया है। कांग्रेस, हिंदुत्व के विचारक सावरकर पर हमला बोलकर, मुस्लिम वोट अपने पक्ष में करना चाहती है।  

कहा ये भी जा रहा है कि, कांग्रेस और राहुल गांधी चाहते हैं कि, सावरकर पर बहस गुजरात चुनाव के मद्देनजर और तेज हो जाए, जिससे महात्मा गांधी के क़त्ल के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल का RSS पर प्रतिबंध लगाना और सावरकर का अरेस्ट होना, जैसी चीजें सुर्ख़ियों में आए और इसका सियासी लाभ कांग्रेस को मिले। इसलिए कांग्रेस, सावरकर द्वारा कालापानी में बिताए गए 10 कठिन साल और अन्य जेलों में काटी गई 5 साल की सजा का जिक्र न करते हुए, सिर्फ उनके माफीनामे का मुद्दा उछलती है। 

यहाँ तक कि, कांग्रेस, इंदिरा गांधी के उस पत्र को भी अनदेखा कर देती है, जिसमे उन्होंने वीर सावरकर को भारत माँ का 'महान सपूत' बताया है। 20 मई 1980 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पंडित बाखले, सचिव, स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के नाम से संबोधित चिट्ठी में सावरकर के योगदान का उल्लेख किया था। इस पत्र में इंदिरा ने लिखा है, 'मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को प्राप्त हुआ था। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए बेहद अहम है। मैं आपको देश के महान सपूत (Remarkable Son of India) के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हूं।'

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