'इंदिरा-राजीव की विरासत का अपमान कर रहे राहुल गांधी..', अपने पूर्व अध्यक्ष पर क्यों भड़के कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ?
'इंदिरा-राजीव की विरासत का अपमान कर रहे राहुल गांधी..', अपने पूर्व अध्यक्ष पर क्यों भड़के कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ?
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नई दिल्ली:  पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य आनंद शर्मा ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आनंद शर्मा ने राहुल गाँधी की चुनावी नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए उसे इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का अपमान बताया है। उन्होंने खासकर जातिगत जनगणना को लेकर ये टिप्पणी की है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित जातिगत जनगणना को लेकर राहुल गाँधी पर निशाना साधा और बताया कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर जाने का मतलब है कि कांग्रेस अब अपने ऐतिहासिक रुख से पलटी मार रही है, जो इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की विरासत का तिरस्कार भी है।

कांग्रेस के विद्रोही जी-23 टीम के सदस्य और दिग्गज नेता आनंद शर्मा ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के लोकप्रिय चुनावी नारों से भी पुरानी पार्टी को आइना दिखाया है। आनंद शर्मा ने मंगलवार (19 मार्च 2024) को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि, राहुल गाँधी ने किस तरह कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक नीतियों का विरोध किया है। उन्होंने अपने पत्र में इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के चुनावी नारे ‘न जात पर, न पात पर… मोहर लगेगी हाथ पर’ का भी उल्लेख किया है। बता दें कि यह नारा सबसे पहले इंदिरा गाँधी ने वर्ष 1980 में दिया था और ये नारा कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस द्वारा चुनावों में उपयोग किया जाता रहा, खासकर उन हिंदी भाषी राज्यों में, जहाँ जाति आधारित सियासी दल एक्टिव हैं।

आनंद शर्मा ने पत्र में लिखा है कि बीते कुछ दिनों से राहुल गांधी जिस जातिगत जनगणना के मुद्दे को पूरी ताकत से उठा रहे हैं और कांग्रेस ने चुनाव में जीत के बाद जिस जातिगत जनगणना को कराने का वादा किया है, वो कांग्रेस के ऐतिहासिक रुख से ठीक उलट है। इस नीति पर चलते से कांग्रेस को नुकसान ही होगा, क्योंकि विपक्षी भी उसे खूब टारगेट करेंगे। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का ये पत्र ऐसे वक़्त पर सामने आया है, जब पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। ये पत्र कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है, क्योंकि एक ओर पार्टी हिन्दू वोटों को विभाजित करने के लिए जातिगत जनगणना को मुद्दा बना रही है, वहीं, दुसरी तरफ आनंद शर्मा ने इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का नाम लेकर और पार्टी के सियासी इतिहास को सामने रखकर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल, सियासी जानकारों का कहना है कि, कांग्रेस जानती है कि अकेले मुस्लिम वोटों के बल पर वो सत्ता में नहीं आ सकती, लेकिन हिन्दू मतदाता अधिकतर भाजपा के पक्ष में है, इसलिए हिन्दू वोटों ओके जातियों में विभाजित कर उन्हें अपनी तरफ करने के लिए जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया गया है। वरना हमेशा अल्पसंख्यकों की राजनीति करने वाली कांग्रेस को कभी जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा नहीं देना पड़ता। कांग्रेस के इस नारे पर पीएम मोदी ने तंज भी कसा था, उन्होंने कहा था की इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक हैं, क्या कांग्रेस उन्हें हक़ देगी ? या फिर सिर्फ जातियों में बांटने की ही बात करेगी ? कांग्रेस मनमोहन सरकार के समय एक बिल भी लाइ थी, PCTV बिल, कहने को तो ये दंगा नियंत्रण बिल था, लेकिन इसके निशाने पर बहुसंख्यक थे। बिल के प्रावधान कुछ ऐसे थे कि, यदि कहीं दंगे होते हैं, तो बहुसंख्यकों को ही दोषी माना जाएगा, क्योंकि आबादी में ज्यादा होने पर वही दंगे करेंगे। अब देखा जाए, तो देश में अधिकतर दंगे हिन्दू-मुस्लिम के ही होते हैं, यानी अगर वो बिल पास हो जाता, तो हमेशा हिन्दुओं को ही गुनहगार माना जाता, फिर उनकी जाति चाहे कुछ भी हो। लेकिन भाजपा के विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो पाया था। आज सियासी चक्र कुछ ऐसा पलटा है कि, कभी बहुसंख्यकों को अपराधी बताने वाली कांग्रेस, जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा दे रही है। लेकिन वो इसका पालन करेगी या नहीं, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है । क्योंकि आज भी पार्टी जहाँ सत्ता में है, वहां भी उसकी नीतियों के कारण उसपर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण के ही आरोप लगते हैं। यदि पार्टी अपने राज्यों में बहुसंख्यकों के लिए कुछ करती है, तो मतदाता उसपर भरोसा भी कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि, आनंद शर्मा G-23 नेताओं में से एक हैं। उन नेताओं ने वर्ष 2021 में तत्कालीन कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गाँधी को तीखा पत्र लिखा था और पार्टी की संरचना और कार्यप्रणाली में परिवर्तन करने की सलाह दी थी। इन नेताओं में कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, तो कईयों को हाशिये पर ढकेल दिया गया है। इस पत्र में भी CWC में शामिल आनंद शर्मा ने पार्टी में तालमेल की कमी का भी मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि जिला और प्रदेश कांग्रेस कमेटियों की कोई पूछ नहीं रह गई है।

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