'मुस्लिम महिलाओं के लिए कोटा..', केवल दो सांसदों ने 'नारी शक्ति वंदन' अधिनियम के खिलाफ डाला वोट, जानिए उन्होंने क्या कहा ?
'मुस्लिम महिलाओं के लिए कोटा..', केवल दो सांसदों ने 'नारी शक्ति वंदन' अधिनियम के खिलाफ डाला वोट, जानिए उन्होंने क्या कहा ?
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नई दिल्ली: पक्ष में 454 वोट और विपक्ष में दो वोट के साथ, नारी शक्ति वंदन अधिनियम ने लोकसभा में भारी बहुमत के साथ अपनी पहली विधायी बाधा पार कर ली। हालाँकि, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी के सहयोगी इम्तियाज जलील के साथ विधेयक को पारित करने की मांग वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। दोनों नेताओं ने मसौदा कानून पर अपने विरोध का बचाव करते हुए कहा कि यह मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं के लिए उप-कोटा प्रदान नहीं करता है।

बता दें कि, मौजूदा बिल में 33 फीसद कोटे के तहत सभी धर्म की महिलाएं शामिल हैं, यह भी ध्यान देने वाली बात है कि, मौजूदा बिल में SC/ST महिलाओं के लिए 33 फीसद कोटे के अंदर अलग से एक तिहाई (33 फीसद) का आरक्षण रखा गया है। लेकिन, OBC को सामान्य वर्ग (सभी धर्म) के साथ ही बाकि 67 फीसद में जगह दी गई है। किन्तु ओवैसी की मांग इसके अंदर अलग से मुस्लिमों और OBC के लिए आरक्षण की वकालत की गई है। बता दें कि, कई मुस्लिम जातियां भी OBC में आती हैं। ओवैसी की इस मांग पर सरकार का कहना है कि, महिला आरक्षण में धार्मिक आधार पर कोई कोटा नहीं दिया गया है, संविधान में भी अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्गों के लिए लोकसभा में सीटों का आरक्षण प्रदान किया गया है। इसमें धार्मिक आधार पर कोई आरक्षण पहले भी नहीं दिया जा रहा है, इसलिए महिला आरक्षण में धार्मिक आधार पर आरक्षण की मांग करना गलत है। 

लोकसभा में विधेयक के ऐतिहासिक पारित होने के बाद मीडिया से बात करते हुए, ओवैसी ने कहा कि, 'हमने इसके खिलाफ मतदान किया ताकि देश को पता चले कि संसद के दो सदस्य हैं, जो कोटा के दायरे में ओबीसी और मुस्लिम को शामिल करने के लिए लड़ रहे हैं।' महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के अपने तर्क को समझाते हुए ओवैसी ने कहा कि, 'OBC लोग देश की आबादी का 50% से अधिक हिस्सा हैं। इस विधेयक के पीछे का विचार उन महिलाओं के लिए प्रावधान करना है, जिनका संसद और अन्य विधायी निकायों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। फिर सरकार उस समुदाय की महिलाओं को आरक्षण देने से इनकार क्यों कर रही है, जो हमारी आबादी का 50% से अधिक है?'

मुस्लिम महिलाओं को कथित तौर पर आरक्षण न दिए जाने पर ओवैसी ने कहा कि, 'राष्ट्रीय आबादी में मुस्लिम महिलाओं की हिस्सेदारी 7% है, लेकिन संसद समेत हमारे विधायी निकायों में उनका प्रतिनिधित्व सिर्फ 0.7% है।' इससे पहले, बुधवार को लोकसभा ने महिला आरक्षण कानून का मसौदा पारित किया, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में सभी धर्म की महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान करता है। संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के प्रस्ताव के जवाब के बाद पारित किया गया। विधेयक को मतविभाजन के बाद पारित कर दिया गया, जिसमें 454 सदस्यों ने कानून के पक्ष में मतदान किया और दो (ओवैसी और इम्तियाज़) ने इसके खिलाफ मेघवाल द्वारा पारित प्रस्ताव पर मतदान किया। विधेयक के अलग-अलग खंडों पर भी मतदान हुआ।

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