उत्तराखंड में हेलिकाॅप्टर संचालन पर उठे सवाल

उत्तराखंड में हेलिकाॅप्टर संचालन पर उठे सवाल
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नई दिल्ली : उत्तराखंड में मानवीय क्रियाकलापों और अन्य कारणों से होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तन की आंशका के चलते एक एनजीओ ने क्षेत्र में हेलिकाॅप्टर संचालन पर सवाल उठाए हैं। एनजीओ दोआबा पर्यावरण समिति ने कहा है कि हेलिकाॅप्टर संचालन से यहां के जीवों और वनस्पतियों पर खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं इसे लेकर इस संस्थान ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण का रूख किया है। 

मिली जानकारी के अनुसार रूद्रप्रयाग क्षेत्र में केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने वाली 16 किलोमीटर की चढ़ाई से बचने के लिए हेलिकाॅप्टर का प्रयोग किया जाता है लेकिन एनजीओ ने इस प्रयोग को पर्यावरण के लिहाज से अच्छा नहीं बताया है। दूसरी ओर यह भी कहा गया है कि इससे पारिस्थितिकी प्रभावित होती है। कहा गया है कि इससे हिमालयी तहर और कस्तूरी हिरण के जीवन पर असर हो रहा है। अब यह एनजीओ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की शरण में जाने का मन बना रहा है।

संस्थान का कहना है कि क्षेत्र में कम उंचाई पर उड़ने वाले हेलीकाॅप्टरर्स के चलते शोर पैदा होता है तो दूसरी ओर संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रजनन पर भी गंभीर असर पड़ता है। याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के गोपेश्वर में केदारनाथ वन्यजीवन खंड में वन संरक्षक ने गोपेश्वर के नंदादेवी जैवमंडल रिजर्व के वन संरक्षक को पत्र लिखा और इस संबंध में कार्यवाई की अपील की है। 

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