इस व्रत से होती है संतानहीनों को संतान की प्राप्ति
इस व्रत से होती है संतानहीनों को संतान की प्राप्ति
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पुत्रदा एकादशी हिन्दू धर्म में बहुत महत्व होता है जिसके चलते हर हिन्दू महिलाएं इस व्रत को करती हैं और अपनी अच्छी संतान के  लिए कामना करती हैं. ये सिर्फ पुत्र के लिए ही नहीं बल्कि इसके और भी कई महत्व हैं जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. कहते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत से गाय के महत्व का पता चलता है. गाय को हमारे यहां माता रूप माना गया है और कई त्योहारों पर उन्हें पूजा भी जाता है. इतना ही नहीं इस एकादशी को पवित्रा और पापनाशिनी एकादशी भी कहते हैंं. ये व्रत सावन के महीने में आता है इसलिए इसे करने से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं और माता लक्ष्मीं भी प्रसन्न होती हैं. हिन्दू धर्म अनुसार ये एकादशी 22 अगस्त को मनाई जा रही है.

संतान नहीं है तो करें पुत्रदा एकादशी का व्रत

आपको बता दें, पुत्रदा एकादशी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन लहसुन, प्याज आदि नहीं खाना चाहिए. इस व्रत के लिए आप पहले स्नान कर ‘मम समस्तदुरितक्षयपूर्वकंश्रीपरमेश्वर प्रीत्यर्थं श्रावणशुक्लैकादशीव्रतमहं करिष्ये' का संकल्प करके पूजन करें और उपवास की शुरुआत करें. इस व्रत में आप भगवान विष्णु और खासकर बाल-गोपाल रूप कर सकते हैं और द्वादशी को भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर पूजा सम्पन्न करें.

इसकी कथा भी आप इस दिन सुन सकते हैं जिसका वर्णन आपको पुराणों में मिलता है. इस कथा को भगवान श्रीकृष्ण ने  धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर बताया था. ये व्रत श्रावण शुक्ल एकादशी के दिन आता है जो  भी संतानहीन व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे संतान प्राप्त होती है.

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