ब्यूरोक्रेसी के कारण कई नए रिसर्चर और वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट में होती है देरी
ब्यूरोक्रेसी के कारण कई नए रिसर्चर और वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट में होती है देरी
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नई दिल्ली : तकनीक की महत्वता पर जोर देते हुए किसी भी देश के विकास के लिए टेक्नोलॉजी और साइंस को महत्वपूर्ण बताया है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आइआइटी व आइआइएस के संयुक्त कार्यक्रम में 1000 करोड़ रुपए की इंप्रिंट इंडिया को लॉंच किया। मोदी ने कहा कि जरुरत है कि हम सस्ती और अच्छी तकनीक की ओर बढ़े। विज्ञान युनिवर्सल है पर तकनीक लोकल होता है।

इंप्रिंट इंडिया एक इंटर मिनिस्टिरियल ग्रुप है, जो भारत के रिसर्च और टेक्नोलॉजी संस्थानों को सिंगल विंडोज मेक्निज्म की सुविधा प्रदान कराएगा। ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्टरी, रक्षा मंत्रालय, साइंस और टेक्नोलॉजी विभाग, बायोटेक्नोलॉजी विभाग और ग्रामीण विकास मंत्रालय इस प्रोजेक्ट का हिस्सा होंगे। बहुत सारे रिसर्चर और वैज्ञालिकों का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी के कारण उनके प्रोजेक्ट सालों साल लटके रहते है। इसलिए इंप्रिंट इंडिया उन्हें वन स्यॉप फंडिंग मुहैया कराएगी।

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस ग्रुप ने 10 ऐसी जगहों को चिन्हित केया है, जहाँ लोग पूरी तरह विदेशी तकनीक पर निर्भर है। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर, हेल्थकेयर, आइटी, एनर्जी, सस्टेनेबल, नैनो टेक्नोलॉजी, हार्डवेयर, वाटर रिसोर्स, रिवर सिस्टम, मैनुफैक्चरिंग, डिफेंस, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन शामिल है। उम्मीद है इस पहल से देश के नए रिसर्चर एक सोशल और तकनीकी रुप से मजबूत समाज का गठन करने में सफल होंगे। इस दौरान मोदी ने मुखर्जी को चलती-फिरती युनिवर्सिटी और ज्ञान का सागर कहा। 

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