हिंदुस्तान का शेर : नरेंद्र दामोदर दास मोदी
हिंदुस्तान का शेर : नरेंद्र दामोदर दास मोदी
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"नरेंद्र मोदी", एक ऐसा नाम जो आज हर शख्स की जुबां पर है. एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी झलक हर भारतीय खुद में ढूंढने की कोशिश में लगा हुआ है. एक ऐसी आवाज जो आज विश्व को भारतवर्ष की मधुर ध्वनि सुनाने में लगी हुई है. वो आज एक ऐसा चेहरा है जो भारत को एक नई पहचान दिलवाने को संघर्ष कर रहा है. यदि मोदी के लिए हम यह भी कहे कि "गुजरात के शेर की दहाड़ आज समूचे विश्व में गूंज रही है" तो यह बात भी अपने आप में एक गहराई लिए बैठी है. इस महान शख्सियत के बारे में बात करे तो आज यह नाम हमारे देश के सम्मानीय प्रधानमंत्री के तौर पर लिया जाता है, और यह पूरा नाम है "नरेंद्र दामोदर दास मोदी".

वैसे तो नरेंद्र मोदी को कई तरह की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है लेकिन फिर भी उन्होंने कभी अपनी छाप को कमजोर नहीं होने दिया. आलोचनाओं का पहाड़ तब उनके ऊपर टुटा जब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का नाम गोधरा कांड में लिया गया और उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा. लेकिन वे फिर खड़े हुए और अपने तेज को वैसे ही बनाते हुए फिर अपना पद हासिल करने में भी सफलता हासिल की. आज समूचा देश बिहार चुनाव हार जाने के बाद इस व्यक्तित्व में गलतियां निकलता दिखाई दे रहा है लेकिन शायद लोग यह भी भूल रहे है कि ये वही शख्सियत है जिसने गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर 4 बार खुद को स्थापित किया है.

ये वही चेहरा है जो राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के चेहरे के रूप में सबके सामने आया. इस एक शख्सियत के बारे में और क्या कहे यह वहीँ शख्स है जो प्रधानमंत्री चुनाव के लिए ना केवल सामने आया. बल्कि इसका जादू कुछ इस तरह देखने को मिला कि भारतवर्ष मोदीमय हो गया. जिसने हर वर्ग को यह सीखा दिया कि "अबकी बार, मोदी सरकार". ये वहीँ शख्सियत बनकर सामने आया जिसने 60 वर्षों तक देश पर शासन चलाने वाली कांग्रेस को भी चुनावी पथ पर सोचने को मजबूर कर दिया.

देश को आज के वक़्त में चुनाव की हार, विदेशों के दौरे, बढ़ती महंगाई एक चुभन सी महसूस हो रही है लेकिन शायद लोग इस बात को अनदेखा कर रहे है कि यह वहीँ मोदी है जिसने अपने अभियान "मेक इन इंडिया" को एक दमदार शुरुआत दी और विदेशों को भी भारत आने पर मजबूर किया. जिसने प्रोद्योगिकी का उपयोग कर "डिजिटल इंडिया" का सपना साकार किया. नरेंद्र मोदी एक ऐसी शख्सियत है जो आज़ाद भारत में पैदा हुए देश के प्रथम प्रधानमंत्री भी बने.

बात करें मोदी के शासनकाल की शुरुआत की तो आपको यह बात देखने को मिलेगी कि कल तक जिस देश को गरीबों और गरीबी के लिए जाना जा रहा था आज उसी देश में निवेश को लेकर हर समर्थ देश अपना योगदान देने को सामने आ रहा है. गौर किया जाए तो इस डेढ़ साल के सफर में भारत ने जो तेजी पाई है यह तेजी शायद पिछले 60 सालों में देखने को भी नहीं मिली. लेकिन वो कहावत है ना कि "आपकी एक बुराई आपकी सौ अच्छाइयों पर भी भारी पड़ जाती है." यहाँ भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है जो प्रधानमंत्री के गौरव को आहत कर रहा है. जिस प्रधानमंत्री ने भारत के सामने कई देशों को झुकने पर मजबूर कर दिया है. प्रणाम है उस "नमो" को, प्रणाम है उस "मोदी" को.

हितेश सोनगरा

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