जन्माष्टमी पर इस आरती से करें भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न
जन्माष्टमी पर इस आरती से करें भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न
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प्रत्येक वर्ष भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का अत्याधिक महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण तका जन्म हुआ था। प्रभु कृष्ण विष्णु जी के 8वें अवतार माने जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिर से लेकर हर घर में कृष्ण जन्म और पूजा की विशेष तैयारी की जाती है। वही जन्माष्टमी की दो तारीखों को लेकर चल रही असमंजस अब समाप्त हो गई है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थल तथा वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वहीं जन्माष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में जन्माष्टमी की पूजा करने से प्रभु श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। मगर पूजा के बाद कुंजबिहारी लाल की आरती अवश्य करें, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

शुभ मुहूर्त
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आरंभ- 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 27 मिनट से 
कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समापन- 7 सितंबर 2023 को दोपहर 04 बजकर 14 मिनट पर 
रोहिणी नक्षत्र-  6 सितंबर को सुबह 09 बजकर 20 मिनट से 7 सितंबर सुबह 10 बजकर 25 मिनट तक

कुंजबिहारी लाल की आरती:-
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

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