किसी भी तरह की भूमिका निभाना इनके लिए आसान हैं : शक्ति कपूर
किसी भी तरह की भूमिका निभाना इनके लिए आसान हैं : शक्ति कपूर
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बॉलीवुड के नंदु सबका बंधु यानी सुनील सिकन्दरलाल कपूर उर्फ़ शक्ति कपूर का जन्म 3 सितंबर 1958 में दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में हुआ। शक्ति कपूर ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के मशहूर किरोरीमल कॉलेज से पूरी की. शक्ति कपूर के पिता दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक दर्जी की दुकान चलाते थे। शक्ति कपूर का नाम बदलने के पीछे भी एक वजह हैं, दरअसल जब सुनील दत्त साहब ने संजय दत्त स्टारर फिल्म रॉकी में विलेन का रोल ऑफर किया तो उन्हें अपना नाम सुनील कपूर विलेन की तरह नहीं लगा, इसीलिए उन्होंने अपना नाम बदलकर शक्ति कपूर कर लिया।

शक्ति कपूर फिल्म इंडस्ट्री में आज जिस मुकाम पर हैं, व्हाँ उन्होंने पहुँचने के लिए इस इंडस्ट्री में कड़ी मेहनत की हैं। साल 1980 के दौर में शक्ति कपूर को बतौर अभिनेता पहचाना जाने लगा।  उस साल उनकी दो फ़िल्में क़ुरबानी और रॉकी ब्लॉकबस्टर हिट फ़िल्में साबित हुई थी।  इन दोनों ही फिल्मों में उन्होंने मुख्य खलनायक की भूमिका अदा की थी। शक्ति कपूर की शादी शिवानी कपूर से हुई हैं।  उनकी दो बच्चे हैं, एक बेटा-सिद्धार्थ कपूर जोकि एक सहायक निर्देशक और डीजे हैं।  उनकी बेटे श्रद्धा कपूर हैं।  जोकि हिंदी सिनेमा की उभरती हुई अभिनेत्री हैं। 

साल 1983 में शक्ति जितेंद्र और श्रीदेवी स्टारर फिल्म हिम्मतवाला और सुभाष घई निर्देशित फिल्म हीरो में खलनायक के किरदार में नजर आएं।  अपनी चार फिल्मों खलनायकी का बेहतरीन अभिनय करने के बाद शक्ति कपूर बॉलीवुड के बेहतरीन खलनायकों की श्रेणी में आ गए थे।  अस्सी और नब्बे के दशक में खलनायकी के किरदार के निर्देशकों और निर्मातायोँ की पहली पसंद अमरीश पूरी या फिर शक्ति कपूर ही होते थे।

नब्बे के दशक में कपूर ने खलनायकी को थोड़ा दरकिनार करते हुए कॉमिक रोल करने शुरू आकर दिए।  जिस तरह वो पूरे परफेक्शन के साथ खलनायकी की भूमिका निभाते हैं उसी तरह उन्होंने कॉमिक रोल निभाए। उन्हें उनकी बेहतरीन कोमी टाइमिंग के लिए फिल्म राजा बाबू के नंदू की भूमिका अदा करने के लिए उन्हें फिल्मफेयर के कॉमिक रोल के अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।  उनकी कॉमिक फ़िल्में- इंसाफ, बाप नंबरी बीटा दस नंबरी, अंदाज अपना अपना, तोहफा,  राजाबाबू, हम साथ साथ हैं, चालबाज, बोल राधा बोल। 

वह सिर्फ एक अच्छे खलनायक ही नहीं बल्कि काफी अच्छे मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं।  हिंदी सिनेमा में आज भी उनके प्रसिद्ध डाइलोग दर्शकों की जुबान पर चढ़े हुए हैं।  जिनमे राजा बाबू का- नंदू सबका बंदु समझता नहीं है यार,फिल्म चालबाज का मैं नन्हा सा मुन्ना सा छोटा सा बच्चा हूँ। 

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