पार्लिमेंट सत्र: डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने की तैयारी, स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ला सकता है विधेयक
पार्लिमेंट सत्र: डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने की तैयारी, स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ला सकता है विधेयक
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नई दिल्ली: हाल ही में संसद सत्र डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक विधेयक का मसौदा तैयार किया है. मंत्रालय की योजना इसे वर्तमान शीतकालीन सत्र में ही पेश करने की है. लेकिन कानून और गृह मंत्रालय ने अस्पष्टता व खामियों का हवाला देते हुए मसौदा विधेयक के कुछ प्रावधानों में सुधार करने की बात कही है. 

सूत्रों से मिली जन्मकारी के मुताबिक 'हेल्थ सर्विसेज पर्सनेल एंड क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट (प्रोहिबिशन ऑफ वॉइलेंस एंड डैमेज टू प्रॉपर्टी) बिल, 2019' के मसौदे में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श के दौरान गृह मंत्रालय ने पाया कि सामान्य नियम के तौर पर गैर-जमानती अपराध में तीन साल या उससे अधिक सजा का प्रावधान होता है, लेकिन मसौदा विधेयक में सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं इसके बावजूद धारा-5(1) में न्यूनतम छह महीने की सजा का प्रावधान किया गया है. लिहाजा धारा-5(1) के तहत अपराध जमानती होना चाहिए.

गृह मंत्रालय ने अंगुली उठाई: सूचना के मुताबिक गृह मंत्रालय ने मसौदा विधेयक के एक और प्रावधान पर अंगुली उठाई है, जिसमें कहा गया है कि जांच अधिकारी उपाधीक्षक (डीएसपी) स्तर से नीचे का नहीं होगा. गृह मंत्रालय का कहना है कि इस प्रावधान पर भी पुनर्विचार की जरूरत है क्योंकि एक जिले में डीएसपी या उससे ऊंचे स्तर के ज्यादा अधिकारी नहीं होते. इस मामले में कानून मंत्रालय ने जांच अधिकारी न्यूनतम इंस्पेक्टर स्तर का रखने का सुझाव दिया गया है. 

दोगुना हर्जाना और पांच लाख रुपये तक मुआवजा देने का प्रावधान: वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बात का पता चला है कि विधेयक के मसौदे में संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर बाजार मूल्य से दोगुना हर्जाना और घायल को एक से पांच लाख रुपये तक मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है. इस पर कानून मंत्रालय का कहना है कि बाजार मूल्य को लेकर भ्रम पैदा होगा इसलिए इसमें निश्चित हर्जाने का प्रावधान किया जा सकता है और उसे अदालत के विवेक पर छोड़ा जा सकता है.

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