हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का शीतकालीन सत्र, 15 साल में सबसे कम हुआ काम
हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का शीतकालीन सत्र, 15 साल में सबसे कम हुआ काम
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नोटबन्दी के मुद्दे को लेकर हुए हंगामे में आखिर दोनों सदनों के कुल 178 घंटे बर्बाद करने के बाद शीतकालीन सत्र ख़त्म हो गया.लेकिन सिर्फ दो बिल ही पेश हो सके.संसद का पूरा शीतकालीन सत्र नोटबंदी के हंगामे की भेंट चढ़ गया. इतना हंगामा पिछले 15 सालों में नहीं हुआ.इस हिसाब से संसद का यह सत्र पिछले 15 सालों में सबसे कम काम करने वाले सत्र में शुमार हो गया. 

उल्लेखनीय है कि सत्र के दौरान लोकसभा में काम का प्रतिशत 15.75 रहा, तो राज्यसभा में यह 20.61 प्रतिशत था. वहीं प्रश्न काल में लोकसभा में 11 प्रतिशत सवालों के जवाब दिए गए तो राज्यसभा में 0.6 प्रतिशत सवालों का जवाब दिया गया. सत्र के दौरान लोकसभा में आयकर संशोधन बिल बिना किसी बहस के पास हो गया, लेकिन राज्यसभा में इसे पेश ही नहीं किया गया. दोनों सदनों में सिर्फ विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों वाला बिल ही पास हो सका.संसद की इस दशा पर लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन और राज्यसभा के चेयरमैन हामिद अंसारी बहुत दुखी हुए. 

आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू हुआ था.दोनों सदनों में हंगामे की वजह नोटबंदी थी. विपक्ष ने पीएम नरेंद्र मोदी के संसद में ना रहने को भी मुद्दा बनाया,मोदी को माफी मांगने के लिए भी कहा गया. दरअसल, पीएम ने एक कार्यक्रम में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें नोटबंदी से पहले वक्त नहीं दिया.वहीं राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने कहा कि पीएम रैलियों में तो बोलते हैं लेकिन संसद में नहीं. इसका जवाब भी पीएम मोदी ने एक रैली में ही दिया. गुजरात में रैली के दौरान पीएम ने कहा कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता इसलिए वह जनसभा में बोलते हैं.

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