पापमोचनी एकादशी के दिन जरूर पढ़े या सुने यह व्रत कथा
पापमोचनी एकादशी के दिन जरूर पढ़े या सुने यह व्रत कथा
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एकादशी व्रत इस महीने 7 अप्रैल को है। आप सभी जानते ही होंगे शास्त्रों में इस व्रत को काफी श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत महीने में दो बार आता है। आप जानते ही होंगे सभी एकादशी का अलग नाम और महत्व होता है। चैत्र के महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। अब इस बार पापमोचनी एकादशी 7 अप्रैल को पड़ रही है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं पापमोचनी एकादशी की कथा।

पापमोचनी एकादशी की कथा- व्रत कथा के अनुसार चित्ररथ नामक वन में मेधावी ऋषि कठोर तप में लीन थे। उनके तप व पुण्यों के प्रभाव से देवराज इन्द्र चिंतित हो गए और उन्होंने ऋषि की तपस्या भंग करने हेतु मंजुघोषा नामक अप्सरा को पृथ्वी पर भेजा। तप में विलीन मेधावी ऋषि ने जब अप्सरा को देखा तो वह उस पर मन्त्रमुग्ध हो गए और अपनी तपस्या छोड़ कर मंजुघोषा के साथ वैवाहिक जीवन व्यतीत करने लगे।

कुछ वर्षो के पश्चात मंजुघोषा ने ऋषि से वापस स्वर्ग जाने की बात कही। तब ऋषि बोध हुआ कि वे शिव भक्ति के मार्ग से हट गए और उन्हें स्वयं पर ग्लानि होने लगी। इसका एकमात्र कारण अप्सरा को मानकर मेधावी ऋषि ने मंजुधोषा को पिशाचिनी होने का शाप दिया। इस बात से मंजुघोषा को बहुत दुःख हुआ और उसने ऋषि से शाप-मुक्ति के लिए प्रार्थना करी। क्रोध शांत होने पर ऋषि ने मंजुघोषा को पापमोचनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने के लिए कहा। चूंकि मेधावी ऋषि ने भी शिव भक्ति को बीच राह में छोड़कर पाप कर दिया था, उन्होंने भी अप्सरा के साथ इस व्रत को विधि-विधान से किया और अपने पाप से मुक्त हुए।

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