क्या पनामा पेपर मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने कुछ गैरकानूनी नहीं किया?
क्या पनामा पेपर मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने कुछ गैरकानूनी नहीं किया?
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पिछले दिनों हुए पनामा पेपर्स लीक मामले में देश-दुनिया की कई हस्तियों के नाम जुड़े थे. ज्यादातर लोगो ने अपने जवाब में कोई गेर-क़ानूनी काम नहीं करने की बात कही गयी थी. यह बात कहा तक सच है?

सोचिये की, भारत में पंजीकृत आपकी कंपनी को 10 लाख रुपये की आय हुई. इस पर आपको तीन लाख रुपये का इनकम टैक्स अदा करना है. ऐसे में आपने युक्ति निकाली. आप पनामा गये और वहां एक कंपनी को पंजीकृत कराया. 

फिर भारतीय कंपनी से नौ लाख रुपये का पेमेंट कमीशन अथवा रॉयल्टी के नाम पर अपनी ही पनामा–स्थित कंपनी को कर दिया. आपकी भारतीय कंपनी की आय 10 लाख से घट कर एक लाख रुपये रह गयी. इस पर आपने 30,000 रुपये का इनकम टैक्स भारत में अदा कर दिया. आपकी पनामा–स्थित कंपनी को नौ लाख रुपये की आय हुई. पनामा में टैक्स की दर मात्र पांच प्रतिशत है. इस प्रकार आपने पनामा में 45,000 रुपये का इनकम टैक्स अदा कर दिया. आपको कुल 75,000 रुपये का ही टैक्स देना पड़ा.  

अब आपकी पनामा–स्थित कंपनी के बैंक खाते में 8,55,000 रुपये हैं. इसे वापस लाने के लिए आपने भारत में एक और कंपनी स्थापित की. इस रकम को आपने नयी कंपनी में विदेशी निवेश कर दिया. भारत सरकार प्रसन्न हो गयी कि 8,55,000 रुपये का विदेशी निवेश मिला है. पनामा सरकार भी प्रसन्न हुई. उन्हें 45,000 रुपये का टैक्स बिना श्रम के ही प्राप्त हो गया. संपूर्ण प्रक्रिया भारत और पनामा दोनों ही देशों में कानूनी है.

तो फिर इस सब में गेर-क़ानूनी क्या है. क्या पनामा पपएर लीक मामले से जुड़े लोगो ने कुछ गेर-क़ानूनी नहीं किया? यह इनकम-टैक्स बचने का एक स्मार्ट और गेर-क़ानूनी तरीका है. भारत में इसका मूल कारन यह है की भारत सरकार निवेश की गयी रकम के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं मांगती है. जैसे की, यह रकम किसने भेजी? इसी के चलते भारत इस राउंड ट्रिपिंग निवेश का शिकार हो रहा है. 

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