इस चुनाव में कांग्रेस को खुद वोट नहीं देंगे राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी, जानिए क्यों ?
इस चुनाव में कांग्रेस को खुद वोट नहीं देंगे राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी, जानिए क्यों ?
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नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सभी 7 संसदीय सीटों पर छठे चरण में कल शनिवार (25 मई) को वोट डाले जाएंगे। परिणाम 4 जून को घोषित होंगे। दिल्ली में इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, हालाँकि दिल्ली से ही सटे पंजाब में दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ हैं और एक -दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। बहरहाल, दिल्ली में हुए सीट बंटवारे के अनुसार, सात सीटों में से AAP के पास चार सीट, नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली है। वहीं, कांग्रेस चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली में चुनाव लड़ रही है। लेकिन, इस चुनाव में सबसे मजे की बात तो ये है कि गांधी परिवार इस बार कांग्रेस को वोट नहीं कर पाएगा।

इस लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा हाथ के पंजे को वोट नहीं कर सकेंगे। दरअसल, पूरा गांधी परिवार, रॉबर्ट वाड्रा सहित नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के मतदाता हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) का उम्मीदवार उतरा हुआ है। यहां से AAP ने सोमनाथ भारती को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी दिल्ली के औरंगजेब लेन स्थित मतदान केंद्र पर वोट डालते हैं। वहीं, सोनिया गांधी निर्माण भवन स्थित पोलिंग बूथ जाकर मतदान करती हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पति रॉबर्ट वाड्रा और पुत्र रेहान वाड्रा के साथ लोधी स्टेट इलाके में मतदान करती हैं। ये सभी पोलिंग बूथ नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। जहाँ AAP चुनाव लड़ रही है, ऐसे में वहां कांग्रेस का कोई उम्मीदवार ही नहीं है। गठबंधन धर्म के अनुसार, यहाँ गांधी परिवार को झाड़ू का बटन दबाना पड़ेगा, क्योंकि पंजा वहां EVM में होगा ही नहीं।   

बता दें कि वर्ष 1951 में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र का गठन हुआ था। अबतक कांग्रेस उम्मीदवार यहां से सात बार चुनाव जीत चुके हैं। 1952 से लेकर 2019 तक कांग्रेस हर बार यहाँ से ताल ठोंकती रही, लेकिन इतिहास में पहली बार कांग्रेस यहाँ चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस 7 बार यहां से जीत हासिल कर चुकी है। 2004 और 2009 में अजय माकन यहां से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने यहां से कमल खिलाया। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस दिल्ली में खाता भी नहीं खोल पाई थी, वहीं AAP को भी जीरो मिला था। सभी सातों सीटें भाजपा के पाले में गई थीं। इस बार कांग्रेस ने AAP के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, शायद गठबंधन से उसे फायदा हो। लेकिन, ये इतिहास में पहली बार होगा जब कांग्रेस के दिग्गज नेता अपनी ही पार्टी को वोट नहीं डाल पाएंगे। 

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