संघर्षविराम पर सहमति को समझौते में बदलना चाहता है पाकिस्तान
संघर्षविराम पर सहमति को समझौते में बदलना चाहता है पाकिस्तान
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भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने शुक्रवार को कहा कि नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्षविराम उल्लंघन को रोकने के लिए उनका देश 2003 में दोनों देशों के बीच संघर्षविराम पर बनी सहमति को औपचारिक समझौते में बदलना चाहता है। बासित ने यहां संवाददाताओं से कहा, जैसा कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हाल ही में कहा था, हमें जरूरत है कि 2003 में (तत्कालीन) राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच संघर्षविराम पर बनी सहमति को हम औपचारिक रूप दे दें।

इस समझौते का प्रस्ताव नवाज शरीफ के उस चार सूत्री शांति समझौते का हिस्सा है जिसे उन्होंने 30 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामने रखा था। उन्होंने कहा था कि ये चार सूत्र भारत से द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने के लिए जरूरी हैं। बासित कर्नाटक के दौरे पर आने वाले पहले पाकिस्तानी राजनयिक हैं। उन्होंने कहा, हम अपने चार सूत्री फार्मूले पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इससे सीमा पर तनाव को घटाया जा सकेगा और दोनों ही पक्षों की तरफ से उल्लंघन रोकने के लिए संघर्षविराम को इसकी मूल भावना के अनुरूप अपनाया जा सकेगा।

दोनों ही देश एक-दूसरे पर सीमा पर गोलीबारी का आरोप लगाते रहते हैं। इस पर बासित ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर कोई तीसरा पक्ष, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक को तैनात किया जाए। उसी की बात मान ली जाए कि कौन संघर्षविराम तोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी भारत के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है। दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक, व्यापारिक और आर्थिक स्तर पर सहयोग बढ़ना चाहिए। पुरानी बातों को भूलकर आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण हल जैसे सभी मसलों का समाधान ढूंढना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच जल्द ही वार्ता शुरू होगी।

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