रोजगारों का खुला विशाल क्षेत्र प्रथम अंक स्किल इंडिया
रोजगारों का खुला विशाल क्षेत्र प्रथम अंक स्किल इंडिया
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मोदीजी सरकार बनाने के बाद से ही युवाओं को रोजगार और देश के विकास को तेज गति देने के लिये जिन बातों पर सबसे ज्यादा ज़ोर दे रहे हैं; उनसे युवाओं के लिये सैंकड़ों, हजारों नहीं करोड़ों रोजगारों का एक बड़ा क्षेत्र खुल रहा है या यों कहे कि अवसरों की एक नई बयार बहने वाली है । जिन बातों को मोदी-विजन का सबसे खास भाग कहा जा रहा है; उनमें तीन बातें एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं और वे ही युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर दिखा रही हैं । वे तीन बातें है स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया और मुद्रा बैंक । हालांकि इन तीनों की अपनी अलग-अलग भूमिका भी है और अलग महत्व भी । यहाँ हम युवाओं के लिये रोजगारों की दृष्टि से तीनों को अलग-अलग भी बताएँगे और उनके एक-दूसरे से संबंध भी समझएंगे । इस पूरी लेख-श्रंखला का जिसके पीछे उद्धेश्य युवाओं को अवसरों का यह बड़ा मैदान दिखाना भी है और उनसे कुछ आह्वान करना भी है ।

आइये सबसे पहले स्किल इंडिया को समझें

स्किल इंडिया कार्यक्रम का अभिप्राय है, देशवासियों खासकर युवाओं को विभिन्न प्रकार के कौशल या हुनर सिखाना या दूसरे शब्दों में रोजगार-उन्मुखी कार्यों का प्रशिक्षण देना। ऐसे प्रशिक्षण पहले मुख्य रूप से विभिन्न ITI (आईटीआई) द्वारा सीमित संख्या में ही दिये जाते थे। लेकिन, 11-वी पंचवर्षीय योजना बनने पर सरकार ने इस क्षेत्र के विशाल महत्व को 2010 में पहचानना शुरू कर दिया था । मगर दूसरी ओर देश के युवा बेरोजगार तो अब तक भी इस क्षेत्र की विशालता ओर महत्व को समझ नहीं पाये हैं । मोदी सरकार के आने के बाद सबसे बड़ा फर्क यह पड़ा है कि अब सरकार द्वारा इस क्षेत्र को बहुत प्रमुखता से और कई तरीकों से प्रचारित किया जा रहा है । इससे इस कार्यक्रम को एक अभियान जैसा रूप मिला है और ऐसा माहौल बनने लगा है, जिसकी बहुत आवश्यकता थी । युवाओं को, विशेषकर गरीब और मध्यम वर्गों के यूवाओ को अब यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि यदि उन्हें स्कूली पढ़ाई करके या साधारण स्तर के स्नातक बनकर भी रोजगार की गारंटी चाहिये तो वह अब कोई न कोई कौशल या हुनर सीख कर ही मिल सकती है । साफ-साफ बात यह है कि बीए, बीएससी, बीकॉम या अन्य परंपरागत डिग्रियो से रोजगार मिलना मुश्किल है; मगर यदि आपने ठीक तरह से 10-वी भी पास की और कोई हुनर सीख लिया; तो आपको गारंटी से अच्छा रोजगार मिल जाएगा । मतलब यह कि अब युवाओं को “हुनर है तो कदर है” के सरकारी नारे को अच्छी तरह समझ लेना चाहिये ।

हालांकि इस क्षेत्र के महत्व को मनमोहन और चिदम्बरम ने भी UPA-2 के समय में ही समझ  लिया था और बहुत कुछ कदम उठाना भी शुरू कर दिये थे । 1 हजार करोड़ के निवेश के साथ NSDC (नेशनल स्किल डेव्लपमेंट कार्पोरेशन) को प्रारम्भ किया गया था और इसे मुख्य क्रियान्वयन कर्ता संस्था बनाकर देश में कौशल प्रशिक्षण के कार्य को तेज गति देने का काम 11-वी पंचवर्षीय योजना से ही शुरू कर दिया गया था । इससे अपेक्षा यह भी है कि यह राज्य सरकारों और निजी क्षेत्रों को भी अभियान में जोड़कर उनसे भी करोड़ों रुपयों का निवेश करवाएगी । NSDC ने 2013-14 में 1.3 मिलियन लोगों को प्रशिक्षित किया था और 2014-15 के लिये उसका लक्ष्य एकदम बढ़ाकर 3.3 मिलियन लोग तय किया गया था। 11-वी पंचवर्षीय योजना में उस समय बहुत बड़ा लक्ष्य रखा गया था कि 2022 तक देश में 500 मिलियन लोगों को विभिन्न कौशलों मे प्रशिक्षित करना है ।

लेकिन इतने बड़े लक्ष्य के हिसाब से सरकार काम नहीं कर पा रही थी । अब मोदीजी की खास शैली के कारण वैसा माहौल बनता हुआ दिख रहा है कि जिससे लगता है कि सरकार ही नहीं, एक टीम की तरह ‘भारत’ (यानि हम सब भी) वैसा कुछ कर सकेंगे जो कि इस देश की अर्थ-व्यस्था का कायाकल्प कर सकता है । नई सरकार ने कौशल विकास और उद्ध्यमिता के लिए एक अलग मंत्रालय का ही गठन कर दिया है जो अब नई राष्ट्रीय नीति घोषित करने की तैयारी कर रहा है । यह तय है पूर्व सरकार के घोषित लक्ष्यों को घटाया नहीं बढ़ाया ही जायेगा । यदि वही लक्ष्य रहे तो भी, जब देश में 500 मिलियन (50 करोड़) लोग हुनरमंद लोगों का मानव-संसाधन जुड़ जाएगा तो यह तो अर्थशास्त्र समझने वालों के लिये एक सुखद सपने जैसा होगा।

किन युवाओं के लिये इसका खास महत्व है ?

इन सब बातों का युवाओं के लिये और भी साफ संदेश यह है कि अब बहुत बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी रुचि का कोई कौशल सीखने और उस पर आधारित रोजगार को ही अपनाना होगा । खासकर जो बहुत अमीर घर से नहीं हैं और जो धन या अन्य किसी कमी के कारण डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, सीए, आदि नहीं बन सकते है, या और स्पष्ट करके कहें तो जो विद्यार्थी प्रमुख विषयों मे डिस्टिंशन वाले अंक नहीं लाते हैं; उन्हें अब कोई छोटी-बड़ी नौकरी शिक्षा के बल पर ढूँढने की सोचने के बजाय, हुनर के बल पर रोजगार अपनाने की सोच बना लेना चाहिये । हालाँकि, ये बातें हम सामान्य अनुभव से कह रहे हैं और इन बातों के अपवाद भी हो सकते हैं । जैसे- उच्च वर्ग के एवं पढ़ाई में अधिक अंक लाने वाले युवा भी कौशल प्रशिक्षणों को प्राप्त करके उस पर अपना कैरियर बनाये तो कोई बुराई नहीं है । उसी तरह निम्न व मध्यम वर्ग के तथा सभी विषयों मे कुल मिलकर कम प्रतिशत लाने वाले युवा भी शिक्षा के किसी एक विषय में विशेष प्रतिभा के कारण उस पर आधारित कैरियर को चुन सकते हैं । साथ ही जो युवा कला एवं खेल के किसी खास क्षेत्र में विलक्षण प्रतिभा वाले होते हैं, वे तो भले ही निम्न वर्ग के हों या पढ़ाई में फिसड्डी, फिर भी हर सामान्य बात के अपवाद होते हैं।

इन कौशलों की एक बहुत बड़ी सूची आप NSDC की साइट पर देख सकते है और उनमे से अपने अनुकूल कौशल का कोर्स चुन सकते है । साथ-साथ में उनकी ‘स्टार’ स्कीम के फ़ायदों को भी अच्छी तरह समझ लीजिये । यदि आप अपने चुनिन्दा हुनर को NSDC एवं ITI की सस्ती सरकारी व्यस्था से ही सीखेँ या उसे सरकार की नई नीति के अनुसार प्रमाणीकृत करवा लें, तो आपके लिए आसानी होगी । हालांकि अन्य अच्छे जरियों से सीखे हुए हुनर से भी रोजगार मिलना मुश्किल नहीं होगा; क्योंकि कागज़ी प्रमाणपत्र नहीं भी होगा तो आपका हुनर ही आपका सबसे बड़ा प्रमाणपत्र होगा ।

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