बेंगलुरु: भारतीय एथलीट ओपी जैशा ने आरोप लगाया है की रियो ओलिंपिक में मैराथन दौड़ के दौरान तपती धूप में उनको पानी पिलाने या रिफ्रेशमेंट देने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल दल का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. उनकी हौसला-अफजाई के लिए भारतीय डेस्क पर भी कोई नहीं था. बता दे की प्रतियोगी देशों ने हर 2.5 किमी पर अपनी डेस्क लगाने की व्यवस्था की गई थी जिसके जरिये वे अपने एथलीटों को सहूलियत प्रदान कर सकते थे. इसके अलावा आठ किमी की दौड़ के बाद ओलिंपिक अधिकारियों का काउंटर था. लेकिन रेस के दौरान भारतीय डेस्क लगी थी लेकिन वहां केवल झंडा और देश के नाम की तख्ती थी, कोई सामान और स्टाफ नहीं था. ऐसे में जैशा को हर आठ किमी पर ओलम्पिक आयोजकों के तरफ से मिलने वाले पानी से ही रेस पूरी करनी पड़ी.
एक समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, ''भीषण गर्मी में उस जैसी लंबी रेस के लिए आपको ढेर सारे पानी की जरूरत होती है. आठ किमी की यात्रा के बाद पीने के पानी का एक समान प्वाइंट होता है लेकिन आपको हर एक किमी यात्रा के बाद पानी की जरूरत होती है. अन्य एथलीटों को रास्ते में ये सुविधा मिलती रही लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला. सिर्फ इतना ही नहीं मुझे वहां कोई एक भी भारतीय झंडा देखने को नहीं मिला. हम अपने तिरंगे से बेहद प्रेम करते हैं. यह हमको बहुत प्रेरित करता है और ऊर्जा देता है.''
157 एथलीटों में जैशा को 89वां स्थान मिला. 42 किमी की रेस पूरी करने के बाद वह गिर पड़ी. उन्होंने कहा, ''ऐसा लग रहा था कि मेरी नब्ज बंद हो गई है. यह एक तरह से मेरा दूसरा जीवन है.'' बेंगलुरु लौटने के बाद डॉक्टर जैशा की हालत देखकर दंग रह गए. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के डॉक्टर एसआर सरला ने कहा, ''हम उनको अस्पताल में भर्ती कराना चाहते थे और इसके लिए एंबुलेंस का इंतजाम भी किया.'' लेकिन जैशा ने जोर देकर कहा कि ''वह इलाज के लिए घर (केरल) जाना चाहती हैं.''