आस्था के नाम पर बच्चो के साथ ये कैसी प्रथा
आस्था के नाम पर बच्चो के साथ ये कैसी प्रथा
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बेतुल: निःसंतान दम्पति बैतूल जिले के भैसदेही से निकलने वाली पूर्णा नदी पर संतान प्राप्ति के बाद अपनी आस्था और मन्नत पूरी होने के नाम पर कुछ अजीब प्रथा का पालन करते है. हर साल पूर्णिमा नदी पर एक बड़ा मेला लगता है जिस में सभी दम्पति जिन्होंने मन्नत मांगने के बाद बच्चे हो जाते है जमा होते है. 

नदी पर अपने नवजात बच्चो को प्रथा अनुसार पहले पालने में डाल कर नदी पार कराते है. इस नदी का पानी स्वच्छ तो नहीं है. साल भर से भी काम उम्र का बच्चा गहरी नहीं में छोड़ दिया जाता है. इस समय पालने में पानी भी भरता है और अनहोनी की आशंका भी रहती है. बाद में वही नदी का पानी बच्चो को माता पिता ही पिलाते है. जिससे इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है.    

यह प्रथा पूरी होने के बाद बच्चे के पेरो में बंधे बंधन को तेज धार के चाकू से कटा जाता है. बच्चा रोता भी है और इस दौरान चोट लगने की पूरी सम्भावना होती है. भक्त इस खतरे को कुछ नहीं मानते क्योकि उनका मानना है की बच्चे को जीवन भी मन्नत के कारण ही मिला है. कहा जाता है की इस अनुष्ठान से बच्चो को दीर्घआयु मिलती है.    

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