नॉन-वेज खाने के हैं शौकीन तो पढ़ लें यह खबर वरना पछताएंगे आप
नॉन-वेज खाने के हैं शौकीन तो पढ़ लें यह खबर वरना पछताएंगे आप
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लंबे समय से कैंसर एक ऐसी बीमारी बनी हुई है, और इस बीमारी का पूरी तरह से कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है। आप सभी जानते ही होंगे देश में हर साल लाखों लोग इस बीमारी की वजह से जान गंवा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक दुनिया में होने वाली हर छठवीं मौत की वजह कैंसर बन रहा है। जी दरअसल साल 2020 में करीब 1 करोड़ लोगों की मौत कैंसर की वजह से हुई थी। आप सभी जानते ही होंगे कैंसर होने की कई वजह हो सकती हैं, लेकिन आपको शायद ही पता होगा कि नॉन-वेज का कम सेवन और शाकाहारी डाइट अपनाकर कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जी हाँ और हाल ही में इस बात का खुलासा स्टडी में हुआ है। जी दरअसल हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिपोर्ट के मुताबिक बीएमसी मेडिसिन ने कैंसर को लेकर एक स्टडी फरवरी 2022 में ऑनलाइन प्रकाशित की थी। इस स्टडी में कहा गया है कि लोगों को कैंसर का खतरा टालने के लिए नॉन-वेज कम से कम खाना चाहिए।

जी हाँ और इस स्टडी के शोधकर्ताओं ने 40 से 70 वर्ष की आयु के लगभग 472,000 वयस्कों से स्वास्थ्य डेटा इकट्ठा कर निष्कर्ष निकाला है। इस स्टडी में शामिल लोगों ने बताया कि उन्होंने हर सप्ताह कितनी बार मीट, बीफ, लैंब, पोर्क या पोर्क खाया था। केवल यही नहीं बल्कि इसके अलावा कितने दिन उन्होंने केवल मछली खाई या शाकाहारी डाइट ली थी। इसी के साथ शोधकर्ताओं ने करीब 11 साल तक इन स्टडी में शामिल लोगों की निगरानी कर डेटा इकट्ठा किया और फिर कई चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। आप सभी को बता दें कि स्टडी के रिजल्ट में पता चला कि हर दिन नॉन-वेज खाने वाले लोगों की तुलना में हर वीक 5 बार या उससे कम मीट खाने वाले लोगों में कैंसर का जोखिम 2% कम था।

इसी के साथ सप्ताह में केवल मछली खाने वालों में यह जोखिम 10% कम था। सबसे खास बात यह रही कि जिन लोगों ने सिर्फ शाकाहारी खाना खाया, उनमें कैंसर का खतरा 14% कम निकला। वहीं शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने प्रति सप्ताह पांच बार से अधिक मीट नहीं खाया, उनमें पांच बार से अधिक मांस खाने वालों की तुलना में कोलन कैंसर का 9% कम जोखिम था। जी हाँ और इसके अलावा प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उन पुरुषों में 20% कम था जो केवल मछली खाते थे और उन पुरुषों की तुलना में 31% कम था, जो शाकाहारी आहार का पालन करते थे, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्टडी से कैंसर होने के प्रत्यक्ष कारणों का सीधे तौर पर पता नहीं चलता। वैसे अब तक कई रिसर्च में कैंसर के खतरे को कम करने के लिए शाकाहार अपनाने की बात सामने आ चुकी है।

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