नईदिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से हाल बेहाल हैं। हालात ये हैं कि, वातावरण में छाई धुंध में लोगों को निकलने में परेशानी होती है। लोगों की आंखों में जलन होती है तो दूसरी ओर, उन्हें सांस लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण इस मामले में सरकार को सलाह दे चुका है, और आवश्यक उपाय करने के लिए कह चुका है। इसी तरह के एक अन्य मामले में, एनजीटी ने आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। जिसमें उसने दक्षिण कश्मीर में हिमालय में पवित्र गुफा तक पहुंचने वाले, तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाऐं उपलब्ध करवाने की बात कही है।
हरित अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों, की एक समिति का गठन किया है जो तीर्थयात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी कार्ययोजना पेश करेगी। एनजीटी ने कहा कि, समिति को जांच के बाद उचित मार्ग, गुफा के इर्दगिर्द के स्थल को साइलेंट जोन घोषित करने और मंदिर के निकट स्वच्छता बनाए रखने जैसे पहलुओं पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
अधिकरण द्वारा कहा गया है कि, यात्रियों को आवश्यक सुविधाऐं नहीं मिल रही है। इस मामले में, एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड के पदाधिकारियों व सदस्यों को फटकार लगाई। एनजीटी ने बोर्ड से सवाल किए हैं कि, आखिर वर्ष 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने उसे आवश्यक निर्देश दिए थे लेकिन उसने इनका पालन क्यों नहीं किया।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना था कि, यहां पर न शौचालयों का निर्माण नहीं किया गया है, अमनाथ मंदिर के समीप ही दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। एनजीटी ने वैष्णोदेवी दर्शन के लिए बनाए जा रहे, नए मार्ग पर रोक लगा दी है और निर्देश दिए हैं कि, एक दिन में करीब 50 हजार दर्शनार्थी दर्शन नहीं कर सकेंगे।
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