नया संसद भवन: में राष्ट्रपति के सम्मान की चिंता या सिर्फ विरोध की हो रही राजनीति
नया संसद भवन: में राष्ट्रपति के सम्मान की चिंता या सिर्फ विरोध की हो रही राजनीति
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नई दिल्ली: नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम के बजाए राष्ट्रपति से कराने की मांग पर विपक्ष एकजुट हो चुके है। कांग्रेस सहित 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान हो चुका है। हालांकि देश में इससे पहले कई ऐसे अवसर आए हैं जब संसद भवन, विधानसभा भवन परिसर में नए निर्माण, नए विधानसभा के उद्घाटन से राष्ट्रपति और राज्यपाल दूर ही है। UPA-2 के कार्यकाल में सोनिया गांधी ने जिस दौरान मणिपुर विधानसभा के नए परिसर का उद्घाटन किया था तब वह किसी सांविधानिक पद पर बिलकुल भी नहीं थी।

तब तीन दिसंबर 2011 को सोनिया गांधी और तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने मणिपुर की राजधानी इंफाल में नए विधानसभा परिसर और सिटी कन्वेंशन सेंटर का उद्घाटन भी कर दिया है। इस बीच राज्यपाल गुरबचन जगत समारोह में मौजूद भी नहीं थे। जिसके साथ साथ 13 मार्च 2010 के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने तमिलनाडु में दुनिया के पहले हरित विधानसभा भवन की नींव भी रख दी थी। इस समारोह में भी राज्यपाल की कोई भूमिका बिलकुल भी नहीं थी।

जब नीतीश ने नहीं पूछा राज्यपाल को: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 6 फरवरी 2019 को बिहार विधानसभा में सेंट्रल हॉल का उद्घाटन भी कर दिया है। इस बीच भी समारोह से राज्यपाल को दूर रखा गया। गौरतलब है कि संसद के संदर्भ में जो भूमिका राष्ट्रपति की होती है, विधानसभा के संदर्भ में वही भूमिका राज्यपाल की भी है। राष्ट्रपति की तरह राज्यपाल भी राज्यों में सत्र बुलाने, सत्रावसान करने का निर्णय लेने के साथ विधानसभा को संबोधित करते हुए दिखाई देते है।

संसदीय सौध का इंदिरा ने किया था उद्घाटन: जहां तक संसद भवन से जुड़े निर्माण कार्य की बात है तो देश में 2 अहम अवसर आए जब राष्ट्रपति को इस समारोह से दूर रखा गया। पहले 24 अक्टूबर 1975 को इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति की जगह खुद संसदीय सौध का उद्घाटन भी कर दिया है। जिसके उपरांत 15 अगस्त 1987 को तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने संसद के पुस्तकालय का शिलान्यास भी किया है।

विपक्ष कई बार कर चुका है सांविधानिक प्रमुख की अवहेलना: हिमंत बिस्व सरमा ने उन राज्यों का उदाहरण भी दे दिया, जहां विधानसभा भवन के शिलान्यास  के बीच राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा, 2014 में UPA के सीएम ने झारखंड और असम में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया लेकिन राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया। 2018 में आंध्र प्रदेश के सीएम ने नई विधानसभा की नींव रखी, राज्यपाल को नहीं बुलाया गया। 2023 में तेलंगाना विधानसभा का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया, जबकि राज्यपाल को न्योता नहीं मिल पाया है।

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