नीरज चोपड़ा का बड़ा बयान, कहा-
नीरज चोपड़ा का बड़ा बयान, कहा- "90 मीटर का कोई दबाव नहीं, विश्व चैम्पियनशिप से पहले..."
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बीते सप्ताह लुसाने डायमंड लीग जीतने वाले ओलंपिक भालाफेंक चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने सोमवार को बोला है कि अगस्त में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप से पहले शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर फोकस होने वाला है लेकिन 90 मीटर की बाधा पार करने का कोई प्रेशर भी नहीं है। मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से तीन शीर्ष स्पर्धाओंमें हिस्सा नहीं लेने वाले चोपड़ा ने डायमंड लीग के लुसाने चरण में वापसी करते हुए बीते हफ्ते 87.66 मीटर की दूरी के साथ निरंतर दूसरी बार शीर्ष स्थान अपने नाम कर लिया। 

उन्होंने 5 मई को दोहा में अपने करियर के चौथे सर्वश्रेष्ठ 88.67 मीटर के थ्रो के साथ सत्र की शुरुआती डायमंड लीग में जीत भी हासिल कर ली थी। उन्होंने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा कराई गई वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में ये बोला था कि ‘शारीरिक और मानसिक रूप से दोहा की तुलना में लुसाने में बहुत कठिन था क्योंकि बीच में चोटिल होने की वजह से पूरा फोकस उस पर रह गया था। सत्र के मध्य में चोट लग जाने पर रिकवरी पर फोकस चला जाता है।' उन्होंने इस बारें में आगे कहा है कि, ‘बीच में मैंने तीन कांटिनेंटल गोल्ड स्तर के टूर्नामेंट छोड़े जहां मौसम अच्छा था और मैं 90 मीटर की बाधा पार कर सकता था लेकिन इसका कोई दबाव नहीं है। अभी एशियाई खेल और वर्ल्ड चैम्पियनशिप होनी है तो जिस दिन परिस्थितियां बनेंगी, 90 मीटर का थ्रो लग जायेगा। लुसाने के मौसम को देखते हुए प्रदर्शन अच्छा रहा।' 

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा है कि उनका फोकस 19 से 27 अगस्त तक हंगरी के बुडापेस्ट में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 100 प्रतिशत फिट रहकर उतरने पर होने वाला है। चोपड़ा ने ये भी बोला है कि, ‘अभी तक मैने विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण नहीं जीता है और इस बार इस कमी को पूरी करने के लिये बहुत ही ज्यादा मेहनत करनी है। फोकस शारीरिक फिटनेस और मानसिक दृढता पर रहेगा। उससे पहले टूर्नामेंटों का चयन भी काफी सोच समझकर करना है ताकि चोटमुक्त रहूं और फिटनेस भी बरकरार रहे।' 

चोपड़ा ने 2022 में अमेरिका के यूजीन में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में सिल्वर मैडल भी जीत लिया था। अपने प्रदर्शन में निरंतरता का श्रेय आत्मविश्वास को देते हुए उन्होंने बोला है कि , ‘मुझे इतना तो यकीन रहता ही है कि छठे थ्रो तक मैं हार नहीं मानूंगा और कई बार आखिरी थ्रो में बाजी को पूरी तरह से पलट दिया। यह आत्मविश्वास फिटनेस और अभ्यास से आता है और इसी की वजह से दबाव महसूस नहीं होता।' 

चोपड़ा आमतौर पर शुरुआती दौर में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं लेकिन शुक्रवार को शीर्ष स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें पांचवें प्रयास की प्रतीक्षा करना पड़ गई। चौथे दौर की समाप्ति तक वह दूसरे स्थान पर थे। इस बारे में उन्होंने बताया कि ‘जितने भी शीर्ष खिलाड़ी हैं, वे सभी आखिरी थ्रो तक खुद को तैयार रखते हैं। मैने भुवनेश्वर में एशियाई चैम्पियनशिप में छठे थ्रो पर गोल्ड मेडल दिलवाया था। मुझे इतना यकीन रहता है कि पहले थ्रो अच्छे नहीं भी गए तो आखिर में तो भरपाई कर ही लूंगा।' 

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