आप सभी जानते ही हैं कि आज नवरात्रि का आखिरी दिन यानी नवमी है और इस दिन मां सिद्धिदात्री (Siddhidatri) की पूजा की जाती है. कहते हैं यह मां दुर्गा का नवां रूप हैं और इस बार नवमीं 18 अक्टूबर को यानी आज है. इस दिन भी कई भक्त अपने घरों में कन्याओं को बुलाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं. अब अगर आप नवमीं मनाते हैं तो आइए बताते हैं कौन है मां सिद्धिदात्री और कैसे करें उनकी पूजा..?
कौन हैं मां सिद्धिदात्री - आप सभी को बता दें कि भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही आठ सिद्धियों को प्राप्त किया था. इन सिद्धियों में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व शामिल हैं और यहीं माता की वजह से भगवान शिव को अर्द्धनारीश्वर नाम दिया गया था, क्योंकि सिद्धिदात्री के कारण ही शिव जी का आधा शरीर देवी का बन गया था. हिमाचल का नंदा पर्वत इनका प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मन जाता है. मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुई ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से बुद्धि और विवेक की प्राप्ति हो जाती है.
मां सिद्धिदात्री का रूप - कहा जाता है यह माता कमल पर विराजमान होती हैं और चार भुजाओं वाली होती हैं यह लाल साड़ी में लिपटी होती हैं. इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहता है. सिर पर ऊंचा सा मुकूट और चेहरे पर मंद मुस्कान होती है.
कैसे करें सिद्धिदात्री की पूजा - कहते हैं कि घी का दीपक जलाने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना बहुत अच्छा होता है. इसी के साथ जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वो लाल वस्त्र में लपेट कर करने से लाभ होता है इसी के साथ नवमी पूजने वाले कंजकों और निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही खुद खाना चाहिए.