बीते सोमवार को गलवन घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प की जो वजह अब तक खुलकर सामने आई है, वह यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा तक भारत तेजी से कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है. नई सड़कें बना रहा है, आधुनिक बुनियादी ढ़ाचे तैयार कर रहा है. जबकि चीन ऐसी तैयारी बहुत पहले ही कर चुका है, तब भारत ने कोई टोकाटाकी नहीं की. विशेषज्ञों की मानें तो दरअसल चालाक चीन की ये आक्रामकता उसकी खीझ और झल्लाहट का नतीजा है. एक साथ कई मोर्चे पर घिरे होने के चलते वह अपने देश के नागरिकों के साथ दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भारतीय रक्षा मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट बताती है कि भारत चीन सीमा पर चिह्नित 3812 किमी सड़क निर्माण में से 3418 किमी का काम बार्डर रोड आर्गनाइजेशन को दिया जा चुका है. इनमें से अधिकतर परियोजनाएं पूरी हो चुकी है. यही निर्माण कार्य दोनों देशों के विवाद की वजह बताई जा रही है. इसके साथ ही सीमा तक जल्दी युद्धक साजोसामान पहुंचाने के लिए पुल और हवाई पट्टियां भी बनाई गई हैं. चीन अपनी तरफ ऐसी बुनियादी संरचनाएं पहले ही तैयार कर चुका है.
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इसके अलावा अगस्त 2019 में भारत ने अनुच्छेद 370 को खत्म करके जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बना दिए. चीन ने इसे अपनी संप्रभुता पर खतरा करार दिया था. मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठा, वहां भारत ने स्पष्ट किया कि यह भारत का आंतरिक मामला है. अप्रैल में चीनी सैनिकों की तैनाती शुरू हुई. काराकोरम पर चीनी नियंत्रण अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग किमी के अलावा शक्सगाम घाटी के पांच हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर चीनी नियंत्रण है. चीन चिंतित है कि लद्दाख में अगर भारत सैन्य ढ़ांचा मजबूत करता है तो चीन का काराकोरम के रास्ते पाकिस्तान की तरफ जाने में दिक्कत आ सकती है. इस लिहाज से भी चीन लद्दाख सीमा पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहता है.
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