सावन से पहले जरूर पढ़े 12 में से 4 ज्योतिर्लिंग के बारें में ख़ास बातें
सावन से पहले जरूर पढ़े 12 में से 4 ज्योतिर्लिंग के बारें में ख़ास बातें
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ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) भगवान शिव के पवित्र शिवलिंगों को संकेत करता है। ये शिवलिंग भारत भर में स्थित हैं। ज्योतिर्लिंग की संख्या कई शास्त्रों और पुराणों में विभिन्न हो सकती है, लेकिन मान्यताओं के आधार पर आमतौर पर उनकी संख्या 12 मानी जाती है। ये हैं वे 12 ज्योतिर्लिंग:

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Somnath Jyotirlinga) - गुजरात
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga) - आंध्र प्रदेश
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) - मध्य प्रदेश
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) - मध्य प्रदेश
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga) - उत्तराखंड
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga) - महाराष्ट्र
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग (Vishwanath Jyotirlinga) - उत्तर प्रदेश (वाराणसी)
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) - महाराष्ट्र
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga) - झारखंड
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga) - गुजरात
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) - तमिलनाडु
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) - महाराष्ट्र
ये थे 12 ज्योतिर्लिंग, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और भगवान शिव की महिमा और पूजा का प्रतीक हैं। इन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ यात्रा का लक्ष्य बना कर दर्शन किया जा सकता है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, जो गुजरात राज्य में स्थित है, भारतीय साहित्य और धार्मिक महत्व के साथ एक प्रमुख तीर्थस्थान है। यहां हिंदी में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी है:

स्थान: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के प्राचीन शहर सोमनाथ के पास स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग अरब सागर के किनारे स्थित है और श्री सोमेश्वर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।

धार्मिक महत्व: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग की प्रतिष्ठा करता है। इसे अपनी प्राचीनता और महत्वपूर्ण इतिहास से प्रसिद्धता मिली है। इसे सावन मास में और शिवरात्रि पर विशेष रूप से भक्तों द्वारा पूजा और दर्शन किया जाता है।

इतिहास: सोमनाथ मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इसे बार-बार नष्ट और दोहराया गया है, लेकिन हर बार यह पुनर्निर्माण किया गया है। यह मंदिर महमूद गजनवी, अलाउद्दीन खिलजी, अकबर और अन्य मुस्लिम सुल्तानों के हमलों का शिकार हुआ है, जिन्होंने इसे नष्ट करने की कोशिश की।

वास्तुशास्त्र और स्थानीय संस्कृति: सोमनाथ मंदिर वास्तुशास्त्र के आदान-प्रदान के अद्वितीय उदाहरण माना जाता है। इसकी विशेषता उच्च गुंबज, उज्जवल मार्मर का निर्माण, चालुक्य शैली के विमानों, जगदंबा माता मंदिर और अन्य प्रमुख संग्रहालयों में देखी जा सकती है।

पूजा विधि: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना की जाती है। भक्तों को शिवलिंग को जल, दूर्वा, बिल्वपत्र, अक्षत, गंध, दीप, धूप, नैवेद्य और संगीत के साथ प्रसाद चढ़ाने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, संध्या आरती और श्री सोमेश्वर मंदिर के आस-पास की स्थलों का दर्शन भी किया जाता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, जो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम नामक स्थान पर स्थित है, भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग की प्रतिष्ठा करता है। यहां हिंदी में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी है:

स्थान: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम नामक पहाड़ी पर स्थित है, जो आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है। यह पहाड़ी स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में मानी जाती है।

धार्मिक महत्व: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के शक्ति स्वरूप परमेश्वर की पूजा करने का स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग सती के अवशेषों के स्थान पर स्थापित है, जहां उनकी नाभि (नवेल) अवस्थित है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को सृष्टि, स्थिति और संहार के देवता का अभिन्न रूप माना जाता है।

इतिहास: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास पुराणों में वर्णित है। यह मंदिर प्राचीन काल में बनाया गया था और इसे कई बार नष्ट किया गया था, लेकिन धार्मिक समुदाय ने इसे बार-बार पुनर्निर्माण किया है।

वास्तुशास्त्र और संस्कृति: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का मंदिर वास्तुशास्त्र के अद्वितीय उदाहरणों में से एक है। इसकी विशेषता इमारतीय शैली, विशाल गोपुरम्‌स, काव्यात्मक साहित्य की खुबसूरत नक्काशी और दीर्घदिनों तक चलने वाले प्रमुख मेलों में देखी जा सकती है।

पूजा विधि: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना धार्मिक रीति-रिवाज़ के अनुसार की जाती है। भक्तों को शिवलिंग को जल, दूर्वा, बिल्वपत्र, अक्षत, गंध, दीप, धूप, नैवेद्य, वस्त्र और अन्य पूजा सामग्री के साथ प्रसाद चढ़ाने का अवसर मिलता है। मल्लिकार्जुन मंदिर में भक्तों के लिए अन्नदान, विद्यादान और अन्य सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है, भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग की प्रतिष्ठा करता है। यहां हिंदी में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी है:

स्थान: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन नगर में स्थित है, जो मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।

धार्मिक महत्व: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के महाकाल रूप की पूजा करने का स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग शक्तिशाली और महानतम स्वरूप के रूप में माना जाता है और भगवान शिव की अद्वितीयता और महत्व को प्रतिष्ठित करता है।

इतिहास: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसे पुराणों और इतिहास ग्रंथों में वर्णित किया गया है। इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था और इसे कई बार पुनर्निर्माण किया गया है।

महाकालेश्वर मंदिर: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और भगवान शिव की महाकाली और महाकाल रूप की पूजा की जाती है।

पूजा विधि: महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना धार्मिक रीति-रिवाज़ के अनुसार की जाती है। भक्तों को शिवलिंग को जल, दूर्वा, बिल्वपत्र, अक्षत, गंध, दीप, धूप, नैवेद्य, वस्त्र और अन्य पूजा सामग्री के साथ प्रसाद चढ़ाने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, आरती और भक्तों को मंगलारती, रुद्राभिषेक और अन्य पूजा विधियां प्रदान की जाती हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो मध्य प्रदेश के क्वांट में स्थित है, भगवान शिव के पवित्र शिवलिंग की प्रतिष्ठा करता है। यहां हिंदी में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तृत जानकारी है:

स्थान: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के किनारे स्थित है, जो मध्य प्रदेश के क्वांट नगर से लगभग 77 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी पर मुख्य द्वीप ओंकारेश्वर द्वीप पर स्थित है।

धार्मिक महत्व: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की महत्त्वपूर्ण पूजा स्थलों में से एक है। इसे ओंकारेश्वर महादेव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यहां शिव के विशेष रूप ओंकारेश्वर की पूजा की जाती है और यह धार्मिकता, आध्यात्मिकता और सामाजिकता का महत्त्वपूर्ण केंद्र है।

इतिहास: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास पुराणों में वर्णित है। इसे शास्त्रों में प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में उल्लेख किया गया है। यह मंदिर प्राचीन काल में बनाया गया था और यह ऐतिहासिकता, कला और वास्तुशास्त्र की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

मंदिर की विशेषताएँ: ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण सिक्किम पर्वत के शिला पर किया गया है। यह मंदिर वास्तुशास्त्र के अनुसार बनाया गया है और इसकी गोपुरम्‌स, आकार, स्तंभ और अंतर्वासना की खुबसूरत नक्काशी देखने लायक है।

पूजा विधि: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना धार्मिक रीति-रिवाज़ के अनुसार की जाती है। भक्तों को शिवलिंग को जल, दूर्वा, बिल्वपत्र, अक्षत, गंध, दीप, धूप, नैवेद्य, वस्त्र और अन्य पूजा सामग्री के साथ प्रसाद चढ़ाने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, आरती, भजन, कीर्तन और मंगलारती की विधियां भी प्रदान की जाती हैं।

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