वॉशिंगटन: 2001 में तालिबानी नेताओं के अफगानिस्तान छोड़कर भागने के बाद उसके चीफ मुल्ला उमर को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने पनाह दी थी। यह खुलासा अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को मिले एक E-Mail से हुआ है। यह E-Mail हिलेरी को उनके विदेश मंत्री रहते हुए मिला था। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2 साल पहले ही कराची के एक हॉस्पिटल में मुल्ला उमर की मौत हो चुकी है।
पाक और अमेरिका करते रहे हैं इनकार-
पाकिस्तानी अधिकारी ISI और मुल्ला उमर के बीच सीधे तौर पर कनेक्शन की खबरों से इनकार करते रहे हैं। अमेरिका का भी कहना है कि उसके पास इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं। हालांकि, 2010 में 25 अगस्त को हिलेरी को भेजा गया E-Mail कुछ और ही इशारा करता है। किसने भेजा था हिलेरी को E-Mail? E-Mail में सिड नाम के एक व्यक्ति ने हिलेरी को लिखा, मुझे यकीन है कि आपको भी इस बारे में जानकारी है कि ISI ने मुल्ला उमर को कैसे बचाया होगा। लेकिन भारत-पाक हमले के एक पहलू के तौर पर अफगानिस्तान बेहतर स्ट्रैटजी कॉन्सेप्ट है। हालांकि, E-Mail लिखने वाले का पूरा नाम नहीं बताया गया है। पूरे E-Mail में काट-छांट की गई है। यह Mail हिलेरी के पर्सनल सर्वर पर भेजे गए E-Mails का हिस्सा है। इन्हें अमेरिकी विदेश विभाग ने जारी किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, E-Mail में किए गए Comment को न्यू स्टेट्समैन में विलियम डेलरिंपज के लिखे आर्टिकल 'द मिलिट्री एंड द मुल्ला' में इस्तेमाल किया गया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है कि वह अफगानिस्तान पर दबदबा कायम करने और भारत को कमतर साबित करने के लिए आतंकियों का बढ़ावा दे रहा है। लेख के अनुसार, यह एक खतरनाक गठबंधन साबित हो रहा है। यह भी लिखा है कि 2001 में तालिबान के अफगानिस्तान से भागने के बाद ISI ने ही इसके नेताओं को शरण दी थी। लेख में लिखा है, मुल्ला उमर को क्वेटा में ISI के सेफ हाउस में रखा गया। वहीं, अन्य समूहों को बलूचिस्तान में किसी सुरक्षित ठिकानों पर भेज दिया गया।