फिल्म रिव्यू : दिल धड़कने दो
Share:

बॉलीवुड में इस समय असल परिवारो की कहानियो पर फिल्म बनने लगी है. जो की दर्शको को सीधे तौर पर जोड़ती है. जैसा की हम पिछली फिल्म तनु वेड्स मनु में देख चुके है. जो की एक माध्यम वर्गीय परिवार की पति-पत्नी के रिश्ते की कहानी थी. कुछ इस ही तरह फिल्म 'दिल धड़कने दो' एक फर्स्ट क्लास फैमली की कहानी को व्यक्त करती है.की किस प्रकार वे एक दूसरे को ऊपरी तौर से दिखने के लिए तो खुश रहने का नाटक करते है पर असल में वे एक दूसरे के प्रति दिखावा कर रहे है. दिल धड़कने दो इस बात का एक उदाहरण है कि जब एक बेहतरीन कहानी अच्छी स्टार कास्ट के साथ बेहतरीन निर्देशन में कोई फिल्म बनाई जाती है तो एक शानदार फिल्म बनकर सामने आती है.

जोया अख्तर की यह फिल्म कुछ ऐसी ही है. रीमा कागती और जोया अख्तर ने ऐसी ही एक पंजाबी फैमेली की कहानी रची है. इसे देखते समय ऐसा लग सकता है कि कि यह आपके और हमारे परिवार की ही कहानी है. पिता कमल मेहरा (अनिल कपूर) एक सेल्फ मेड इंसान है. मां नीलम (शैफाली शाह) पारंपरिक तौर पर पीड़ित पत्नी की भूमिका में है जो घर का माहौल खुश बनाए रखने के लिए हर बात को दबाए रखने में ही भरोसा करती है. उनकी एक स्मार्ट बेटी है आयशा (प्रियंका चोपड़ा) और बेटा कबीर (रणवीर सिंह) है.

मां इस बात को लेकर रणवीर पर हमेशा दबाव बनाती है कि पिता ने उसके लिए जो तय किया है वो उसी करियर लाइन पर आगे बढ़े. परिवार का एक और अहम सदस्य है उनका पालतू डॉगी प्लूटो मेहरा. आयशा की शादी मानव (राहुल बोस) से हुई है, जो मॉडर्न होते हुए भी पुरुष प्रधान सोच में यकीन रखता है. यह परिवार खुशी-खुशी जीवन बिता रहा होता है, लेकिन जैसे ही एक क्रूज यात्रा पर निकलता है, इनके बीच दूरियां और मतभेद सामने दिखाई देने लगते हैं. मेहरा दंपति अपनी शादी की 30वीं सालगिरह मनाने के लिए निकले हैं.

उनके परिवार के सदस्य और दोस्त भी उनके साथ है. यहां पर शुरू होते हैं कहानी में टि्वस्ट और तरह-तरह के इमोशंस. क्रूज पर ही कबीर की मुलाकात फराह (अनुष्का शर्मा) से होती है और वह उससे प्यार करने लगता है. वहीं आयशा की मुलाकात अपने पुराने दोस्त सनी (फरहान अख्तर) से होती है. अनिल कपूर ने अपना किरदार बखूबी निभाया है. उनके अभिनय को देखकर लगता है कि शायद ही कोई उनकी जगह ले सकता था. शैफाली ने कुछ सीन में कमाल काम किया है, लेकिन फिल्म की कहानी घूमती है रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा के इर्द-गिर्द. भाई-बहन के तौर पर दोनों की बेहतरीन केमेस्ट्री दिखाई देती है.

बॉलीवुड की फिल्मों में ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है. दोनों को आप कई बार स्क्रीन पर देखना चाहते हैं. अनुष्का, राहुल बोस और फरहान ने सभी का अच्छा साथ दिया है. रिद्धिमा सूरी और जरीना वहाब का काम भी बेहतरीन है. फरहान अख्तर के डायलॉग गुदगुदाते तो हैं मगर कुछ मौकों पर इनमें दोहराव भी नजर आता है. कुल मिलाकर फिल्म उन भारतीय परिवारों को आइना दिखाती है जहां पर हर बात को लेकर दोहरापन है . फिल्म मनोरंजक तो है ही मगर मुद्दे की बात भी करती है. जो की जोया अख्तर की पिछली फिल्मो में हम देख चुके है.

वीडियो देखने के लिए क्लिक करे 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -