तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे...
तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे...
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तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे....जी हाँ ये गाना सुनते है जो मधुर आवाज कान में पड़ती है वो है हिंदी सिनेमा के सफल पार्श्‍वगायकों में शुमार मोहम्‍मद रफ़ी की. आज रफ़ी साहब को गुज़रे 35 साल हो गए है. उनकी आवाज़ और अंदाज़ को अपनाकर कई गायकों ने अपना करियर भी बना लिया. मोहम्मद रफ़ी ने अपने रहते भले ही किसी को अपनी गायकी का वारिस घोषित न किया हो, लेकिन शब्बीर कुमार, मोहम्मद अजीज़ और अनवर जैसे कई गायक थे, जो रफ़ी साहब जैसा ही गाते थे. आज रफ़ी को गए 35 साल हो गए हैं, लेकिन उनकी आवाज़ की याद वैसी ही है जैसी पहले थी.

मस्‍ती भरा गाना हो या फिर दुख भरे नग़में, भजन हो या कव्‍वाली, हर अंदाज़ में रफ़ी की आवाज़ पूरी तरह ढल जाया करती थी. मोहम्मद रफ़ी के बारे में एक किस्सा मशहूर है कि जब एक स्टेज शो के दौरान बिजली जाने की वजह से उस ज़माने के जाने माने गायक सहगल साहब ने गाना गाने से मना कर दिया, तो वहां मौजूद 13 साल के रफ़ी ने स्‍टेज संभाला और अपनी बुलंद आवाज़ में गाना शुरू कर दिया. मोहम्मद रफ़ी का जन्म पंजाब के अमृतसर के कोटला में 24 दिसंबर 1984 में हुआ था.

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