मोदी, शरीफ शांति प्रक्रिया को बरकरार रखेंगे
मोदी, शरीफ शांति प्रक्रिया को बरकरार रखेंगे
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक बने कार्यक्रम के तहत काबुल से स्वदेश लौटते समय लाहौर पहुंचे और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात के बाद नई दिल्ली लौट आए। लाहौर उतरने के बाद मोदी वहां से 40 किलोमीटर दूर शरीफ के पुश्तैनी घर में 90 मिनट तक ठहरे और सीमा पर महीनों तक तनाव के बाद दोनों देशों के बीच वार्ता को फिर से शुरू करने का फैसला किया। पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री का यह चकित करने वाला दौरा तब हुआ, जब मोदी ने इसके पहले शरीफ को काबुल से टेलीफोन पर जन्मदिन की बधाई दी और उनसे मिलने की इच्छा जताई। अधिकारियों ने कहा कि मोदी अलामा इकबाल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर जैसे ही भारतीय वायुसेना के विमान से नीचे उतरे, शरीफ ने गर्मजोशी से उन्हें गले लगाया। मोदी ने शरीफ को जन्मदिन की बधाई दी। उसके बाद दोनों एक हेलीकॉप्टर में सवार होकर यहां से 40 किलोमीटर दूर रायविंड स्थित शरीफ के निवास पहुंचे। शरीफ ने मई 2014 में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था।

एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि मोदी ने शरीफ की नातिन को उनकी शादी के मौके पर उसे आशीर्वाद भी दिया। मोदी को हालांकि शादी के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। मोदी ने कथित तौर पर शरीफ से कहा कि दोनों देशों के नेतृत्व के लिए एक दूसरे के हालात को समझना जरूरी है। पाकिस्तानी मीडिया ने कहा कि दोनों नेताओं ने दक्षिण एशिया के लाभ के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का फैसला किया। मोदी और शरीफ ने लोगों का एक दूसरे से संपर्क और विश्वास बनाने के उपायों पर सहमति जताई। यह दौरा कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि इसके बारे में लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल को गुरुवार को ही बता दिया गया था। भारत और पाकिस्तान में कुछ लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में पता था। दोनों नेताओं का यह मिलन ऐसे समय में हुआ है, जब दोनों देशों के बीच महीनों तनाव और सीमा पर संघर्ष के बाद द्विपक्षीय संबंधों में सुधार दिखा है। शरीफ के छोटे भाई और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान के वित्तमंत्री इशाक डार भी मोदी की अगवानी में शामिल थे।

भारतीय राजदूत टी.सी.ए. राघवन भी इस मौके पर उपस्थित थे। मोदी का स्वागत और पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने के बाद दोनों प्रधानमंत्री एक हेलीकाप्टर पर सवार होकर रायविंड स्थित शरीफ के पैतृक आवास पहुंचे। जहां दोनों नेताओं ने बातचीत की। मोदी और शरीफ पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में 30 नवंबर को मिले थे, और दोनों ने अवरुद्ध द्विपक्षीय बातचीत की बहाली की आधारशिला रखी थी। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी लाहौर में मोदी के साथ थे। उन्होंने इस माह के प्रारंभ में बैंकॉक में अपने पाकिस्तानी समकक्ष से मुलाकात की थी। उसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद का दौरा किया था। दोनों देशों के विदेश सचिव इस्लामाबाद में जनवरी में भी मिलने वाले हैं। मोदी की पाकिस्तान की यह पहली यात्रा है और 11 वर्षो में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की भी यह पहली पाकिस्तान यात्रा है।

लाहौर के लिए रवाना होने से चंद घंटे पहले मोदी ने अफगानिस्तान की संसद को संबोधित किया था और अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्लामाबाद पर निशाना साधा था, लेकिन उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया था। मोदी ने अफगानी सांसदों से कहा, आतंकवाद और हिंसा अफगानिस्तान के भविष्य को आकार देने का औजार नहीं बन सकते। पाकिस्तान का स्पष्ट संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा कि वहां कोई है, जो नहीं चाहता कि हम यहां हों। संसद के संबोधन के बाद मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने नाश्ते के दौरान, प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता की। मोदी ने अफगानिस्तान के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) अब्दुल्ला अब्दुल्ला से व पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी मुलाकात की। उन्होंने अफगानिस्तान में कार्यरत भारतीय सहायताकर्मियों, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मियों तथा दूतावास के अधिकारियों से भी मुलाकात की।

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