प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची मेधा पाटकर, दाखिल की जनहित याचिका
प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची मेधा पाटकर, दाखिल की जनहित याचिका
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नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा है. वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने प्रवासी संकट को लेकर शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दाखिल की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि एक समान मंच बनाया जाए, जिसका इस्तेमाल सभी प्रवासियों द्वारा टिकटिंग प्रणाली के लिए किया जा सकता है.

याचिका में ट्रेनों के प्रावधान के लिए राज्य की सहमति के अधीन नहीं होने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में पैदल वापस लौट रहे प्रवासियों के लिए आश्रय गृहों और भोजन की व्यवस्था किए जाने की मांग की गई है. साथ ही प्रवासी मजदूरों को वित्तीय सहायता और लॉकडाउन के बाद रोजगार की योजना के लिए भी मांग की गई है. इससे पहले मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से फंसे प्रवासी कामगारों की समस्याओं का स्वत: संज्ञान लिया था. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कामगारों की परेशानियों का संज्ञान लेते हुए केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब देने के लिए कहा है.

28 मई को इन्हें अदालत को बताना है कि इस स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए उन्होंने अभी तक क्या कदम उठाए हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच शीर्ष अदालत में उपचार को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस जनहित याचिका में मांग की गई है कि देश भर में प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज की लागत न्यूनतम हो और धर्मार्थ ट्रस्ट इसे बगैर किसी लाभ के आधार पर करें.

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