अब बांग्ला कवयित्री ने लौटाया अपना पुरस्कार
अब बांग्ला कवयित्री ने लौटाया अपना पुरस्कार
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कोलकाता : लेखकों पर हुए हमलों और दादरी हत्याकांड को लेकर बड़े पैमाने पर साहित्यकारों द्वारा अपना सम्मान लौटा दिया गया है। इसी कड़ी में अब सांप्रदायिकता को लेकर विरोध जताया जा रहा है। हाल ही में बांग्ला कवियित्री ने भी अपना पुरस्कार सरकार को लौटाने का निर्णय लिया है। कवयित्री मंदाक्रांता द्वारा यह भी कहा गया कि उनके द्वारा वर्ष 2004 में दिए गए स्वर्ण जयंती विशेष साहित्य अकादमी युवा रचनाकार पुरस्कार को उन्होंने लौटा दिया है।

उन्होंने कहा कि इसका कारण दादरी कांड है। दरअसल उत्तरप्रदेश के दादरी में गोमांस खाने की अफवाह के बाद एक व्यक्ति की पीट- पीटकर हत्या कर दी गई। जिसके बाद उन्होंने निराश् मन से अपना पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया। बांग्ला भाषा में 7 और उपन्यास के साथ ही 22 कविता संकलन रच चुकी मंदाक्रांता उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोएडा जिले के दादरी क्षेत्र के एक गांव बिसहाड़ा में भीड़ के द्वारा मोहम्मद अखलाक की हत्या किए जाने के बाद से दुखी थीं। जिसके कारण उन्होंने अपना पुरस्कार लौटा दिया है।

उल्लेखनीय है कि पुरस्कार लौटाने वालों में लगभग 22 लेखक और साहित्यकार शामिल हो चुके हैं। जिनमें पंजाबी लेखिका डाॅ. दलीप कौर टिवाणा ने पद्मश्री लौआ दिया है। राजेश जोशी, गुलाम नबी खयाल, अमन सेठी आदि ने भी पुरस्कार लौटा दिया है। साहित्य अकादमी पुरस्कार रूश्दी द्वारा दिया गया। दूसरी ओर 12 साहित्यकारों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार भी लौटा दिया गया। 

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