नई दिल्ली: मोहनदास करमचंद गांधी ने वर्ष 1919 में एक साप्ताहिक और अंग्रेजी पत्रिका यंग इंडिया (Young India) की शुरुआत की थी, 12 वर्षों तक काफी जोर-शोर से इसका प्रकाशन जारी रहा, इसके बाद यह बंद हो गई. सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि गांधी की यह पत्रिका अंग्रेजी में निकलती थी, जिस समय देश की लगभग 80 फीसद आबादी अंग्रेजी नहीं जानती थी. महात्मा गांधी ने अपने विचार एवं दर्शन को प्रसारित करने लिए इस पत्रिका की शुरुआत की थी.
जिस साल ‘यंग इंडिया’ का आगाज़ किया गया था, वो भारत के लिए क्रोध और आक्रोश का साल था. प्रथम विश्व युद्ध (World war I) के नाम पर नागरिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने वाला कठोर रॉलेट अधिनियम (Rowlatt Act), उसके बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh massacre) आदि इस पत्रिका के अहम मुद्दे थे. इसके संपादकीय ने इसे उस वक़्त के सार्वजनिक जीवन में एक ‘पेज टर्नर’ बना दिया था. यंग इंडिया अपने जीवनकाल (1919-1932) के दौरान अंग्रेजी-शिक्षित भारत का मुख्य विचार भागीदार बना.
उस वक़्त अंग्रेजी न जानने वाले “किसान और श्रमिक” की आबादी भारत की जनसंख्या की 80 फीसद थी. ऐसे में ये सवाल उठता है कि फिर गांधी ने यह पत्रिका अंग्रेजी में क्यों शुरु की ? कहा जाता है कि, गांधी केवल किसानों और श्रमिकों तक ही नहीं, बल्कि एलीट वर्ग के लोगों तक भी अपनी पहुंच बनाना चाहते थे. इसके साथ ही, वो विशेष रूप से मद्रास प्रेसीडेंसी तक भी अपनी पहुंचना चाहते थे और वो ऐसा सिर्फ अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही कर सकते थे. इसलिए गांधी द्वारा स्थापित और सम्पादित यह पत्रिका अंग्रेजी में प्रकाशित होना शुरू हुई, जिसे देश की आम आदमी के लिए समझना दूर की कौड़ी थी.
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