अमृतसर : पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक डाॅन ने हाल ही में एक अजीब सा खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि शेर- ए- पंजाब महाराजा रंजीत सिंह ने मुगल सम्राटों के मकबरों से संगमरमर निकलवाकर उसे श्री हरिमंदिर साहिब में लगाया था। यही नहीं इतिहासकार सुरेंद्र कोछड़ ने भी इस तरह की बात कही। हालांकि उनके इस विचार को लेकर इतिहासकार एकमत नहीं हैं। मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया डाॅन में माजिद शेख द्वारा यह बात कही गई है कि शेख का लेख छप गया था।
मगर वह लाहौर स्थित नूरजहां, सम्राट जहांगीर और आसिफ खान सहित करीब दो दर्जन मकबरों से संगमरमर निकालकर श्री हरिमंदिर साहिब में स्थापित करवाया गया। यही नहीं पाकिस्तान में प्रकाशित की गई किताबों में भी इसी तरह की बात का उल्लेख किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार उन मकबरों में उपयोग किए जाने वाले सुंदर संगमरमर को महाराजा रणजीत सिंह ने हटाकर ले जाने का झूठा ज्ञान दिया। दूसरी ओर 6 जून वर्ष 2010 को श्री अकाल तख्त साहिब और पांच सिंह साहिबान की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किए गए। यही नहीं पाकिस्तान सरकार को इस तरह का कड़ा नोटिस दिए जाने का प्रस्ताव भी पेश किया गया था। इस आशय के नोटिस में शिरोमणि समिति को पूरे मसले पर पक्ष रखने को कहा गया था।