नवरात्रि का पर्व इन दिनों धूम धाम से मनाया जाता है और यह पावन पर्व 9 दिनों तक मनाया जाने वाला है। ऐसे में अब कल यानी 23 अक्टूबर को नवरात्रि का सांतवा दिन है। कहा जाता है नवरात्र का सांतवा दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप को समर्पित होता है। वहीँ इस दिन उनकी पूजा की जाती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कालरात्रि माँ को सदैव शुभ फल देने वाली होने के कारण शुभंकरी कहा जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। वैसे मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां कालरात्रि की आरती जो नवरात्र के सातवें दिन जरूर करनी चाहिए। आइए जानते हैं माँ कालरात्रि की आरती।
माँ कालरात्रि की आरती -
मां कालरात्रि की आरती:
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय॥
मां कालरात्रि के मंत्र: दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे। चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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