आखिर क्यों सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर बना मुसीबत?
आखिर क्यों सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर बना मुसीबत?
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भाेपाल: प्रदेश में करोरन के संक्रमण लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस पर काबू करने के लिए राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी परेशानी वेंटिलेटर की खड़ी हाे गई है. सरकारी अस्पतालों में जरूरत 755 वेंटिलेटर की है जबकि वेंटिलेटर की संख्या केवल 349 ही है.   हालात यह है कि जिला अस्पतालाें में काेराेना पेशेंट के इलाज के लिए सरकार काे 255 वेंटिलेटर की जरूरत है. लेकिन, जिला अस्पतालाें में महज 96 वेंटिलेटर ही उपलब्ध हैं. यह खुलासा स्वास्थ्य संचालनालय की जिला अस्पतालाें में काेराेना पेशेंट के इलाज के इंतजामाें की गैप एनालिसिस रिपाेर्ट में हुआ है.

इस परेशानी से निजात पाने के लिए प्राइवेट हाॅस्पिटल्स से मदद ली जाएगी. जिला अस्पतालाें में वेंटिलेटर की इस कमी काे दूर करने स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट हाॅस्पिटल्स से वेंटिलेटर लेगा. वहीं दूसरी ओर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भाेपाल, इंदाैर, ग्वालियर, जबलपुर और सागर के मेडिकल काॅलेजाें से संबद्ध अस्पतालाें काे काेराेना पेशेंट ट्रीटमेंट सेंटर बनाना शुरू कर दिया है. यहां काेराेना मरीजाें के इलाज के लिए 253 वेंटिलेटर रिजर्व किए गए हैं. जबकि अनुमानित जरूरत करीब 500 वेंटिलेटर्स की है.  

जानकारी के लिए बता दें की पांचाें मेडिकल काॅलेज के डीन ने करीब 100 वेंटिलेटर के खरीदी आदेश जारी कर दिए हैं. इन वेंटिलेटर की डिलीवरी मेडिकल काॅलेजों के हाॅस्पिटल्स काे अगले एक सप्ताह में मिलेगी.

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