जाने क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी, जाने इसके पीछे की कथा

जाने क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी, जाने इसके पीछे की कथा
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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करके उन्हें सभी संकटों से रक्षा करने वाले अनंत सूत्र बांधा जाता है। साथ ही गणपति महोत्सव का समापन होता है, मान्यता है की जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और अनंत चतुर्दशी की कथा पड़ता है या सुनता है उसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से सौभाग्य और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है। 

अनंत चतुर्दशी का शास्त्रोक्त नियम
यह व्रत भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इसके लिए चतुर्दशी तिथि सूर्योदय के पश्चात दो मुहूर्त में व्याप्त होनी चाहिए। यदि चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के बाद दो मुहूर्त से पहले ही समाप्त हो जाए तो, अनंत चतुर्दशी पिछले दिन मनाए जाने का विधान है। इस व्रत की पूजा और मुख्य कर्म काल दिन के प्रथम भाग में करना शुभ माना जाता है, यदि प्रथम भाग में पूजा करने से चूक जाते हैं तो मध्यान्ह के शुरुआती चरण में करना चाहिए। मध्यान्ह का शुरुआती चरण दिन के सप्तम से नवम मुहूर्त तक होता है।

अंनत चतुर्दशी कथा 
महाभारत की कथा के अनुसार कोरवो ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा था। इस दौरान पांडवों ने बहुत कष्ट उठाए थे। एक  दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने वन पधारे पांडवों के पराजित होने के बाद श्री कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने का सुझाव दिया। इसके बाद पांडवों ने हर हाल में राज्य वापस पाने के लिए व्रत करने के लिए सोचा, परंतु उनके मन में कई प्रश्न थे जिनका उत्तर उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा, जैसे कि यह अनंत कौन है, और इस व्रत को क्यों करना चाहिए उत्तर देते हुए श्री कृष्ण ने कहा कि श्री हरि के स्वरूप को ही अनंत कहा जाता है और यदि उनका व्रत रखा जाए तो ऐसा करने से जीवन में आने वाले सारे संकट खत्म हो जाते हैं ।

पूजा व विधि विधान
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई थी। अनंत चतुर्दशी के दिन सबसे पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें उसके बाद व्रत पूजन का संकल्प ले। पूजा स्थान को साफ कर ले, अपने पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान भगवान की प्रिय वस्तुओं को जरूर अर्पित करें भगवान विष्णु को नीला रंग अधिक प्रिय है इसलिए इस दिन इनकी पूजा में पीले फूल, मिठाई आदि का प्रयोग करें।  भगवान के चरणों में अनंत सूत्र जिसे अनंता कहते हैं, समर्पित करें उसके बाद उस रक्षा सूत्र को खुद धारण करें पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाए हाथ में धारण करे।

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