सनातन धर्म में श्राद्ध का समय विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस के चलते पितरों के नाम का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है तथा यह 2 अक्टूबर, सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगा। इस बार पितृपक्ष खास है क्योंकि प्रतिपदा तिथि के दिन चंद्रग्रहण लगने वाला है। ज्योतिषियों के अनुसार, वर्ष का दूसरा चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, किन्तु इसके अशुभ प्रभाव पितृपक्ष पर पड़ सकते हैं।
हिंदू पंचांग के मुताबिक, चंद्रग्रहण 18 सितंबर को सुबह 6:12 बजे से लेकर सुबह 10:17 बजे तक रहेगा। हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, फिर भी प्रतिपदा पर श्राद्ध करने वाले लोगों को ग्रहण काल का ध्यान रखते हुए पितरों का तर्पण करना होगा।
पितृपक्ष में सावधानियां:
पितृपक्ष की दोनों वेला में स्नान करके पितरों को याद करना चाहिए।
कुतुप वेला में पितरों को तर्पण दें, क्योंकि इस वेला में तर्पण का विशेष महत्व होता है।
पितृपक्ष के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
हर दिन गीता का पाठ अवश्य करें।
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