जानिए कब और क्यों मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस
जानिए कब और क्यों मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस
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विश्वभर में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। दुनिया में कई अद्भुत निर्माण विरासत हैं जो समय के साथ जर्जर होने लगी है। इनके स्वर्णिम इतिहास और निर्माण को बचाने के लिए विश्व विरासत दिवस या विश्व धरोहर दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। वैसे तो कई सारी विश्व धरोहरें हैं, जो विश्वभर में प्रसिद्द हैं लेकिन यदि हम इंडियन विश्व धरोहरों के बारें में बात करें तो भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं। यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरें घोषितकर दिया है। इनमें 7 प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। इंडिया में सबसे पहली बार एलोरा की गुफाओं (महाराष्ट्र) को विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया गया था। वहीं अगर 39वीं और 40वीं विश्व विरासत के बारें में बात की जाए तो कालेश्वर मंदिर तेलंगाना में स्थित है। वहीं 40वां विश्व धरोहर हड़प्पा सभ्यता का शहर धोलावीरा है। वहीं यूनेस्को द्वारा घोषित सबसे अधिक विश्व विरासत महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में 5 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं। विश्व धरोहर दिवस पर भारत की सभी विश्व विरासत के बारे में जानिए। यहां यूनेस्को विश्व विरासत की पूरी लिस्ट भी जारी कर दी गई है।

विश्व विरासत स्थल का इतिहास:-
एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र में बसा हुआ हैं। 1983 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया गया था।
आगरा का लाल किला यूपी में बसा हुआ है। लाल किले को विश्व विरासत 1983 में घोषितकर दिया गया था।
महाराष्ट्र में स्थित अजंता की गुफाओं को 1983 में विश्व विरासत के रूप में घोषित किया गया था।
तमिलनाडु के महाबलीपुरम स्मारक को 1984 में विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया था।
उड़ीसा के कोणार्क में सूर्य मंदिर को 1984 में यूनेस्को ने धरोहर के रूप में घोषित किया गया था।
1985 में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, असम को विश्व विरासत का रूप दिया गया।

राजस्थान में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1985 में विश्व विरासत घोषित कर दिया गया था।
1985 में असम के मानस वन्यजीव अभयारण्य को धरोहर का नाम दिया गया।
मध्य प्रदेश के खजुराहो स्मारकों के समूह को 1986 में विश्व धरोहर बना दी गई।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीकरी को 1986 में धरोहर निर्धारित भी किया गया।
कर्नाटक के हम्पी शहर में स्थित स्मारकों को 1986 में भारतीय धरोहरों की लिस्ट में अब भी मौजूद है।
गोवा के चर्च और कान्वेंट को 1986 में धरोहरों की सूची में स्थान दिया जा चुका है।
1987 में कर्नाटक के ही पत्तदकल के स्मारकों के समूह को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का नाम दिया गया।

महाराष्ट्र के एलीफेंटा गुफाओं को 1987 में विश्व धरोहर घोषित का नाम दे दिया गया। 
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल 1987 को विरासत बना चुका है। 
तमिलनाडु के चोल मंदिर को 1987 में विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया था। 
उत्तराखंड की नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जा चुका है। 
मध्य प्रदेश के सांची के बौद्ध स्मारक को 1989 में विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया।
दिल्ली का हुमायूं का मकबरा भी विश्व धरोहर है।
दिल्ली के कुतुब मीनार और स्मारक को विश्व विरासत घोषित कर दिया गया है।
2016 में चंडीगढ़ के कैपिट काॅम्पलेक्स को विश्व विरासत भी बना दी गई है।

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