जानिए महाशिवरात्रि के पीछे की ये 3 रोचक कथाएं
जानिए महाशिवरात्रि के पीछे की ये 3 रोचक कथाएं
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महाशिवरात्रि का पर्व शिव एवं शक्ति के मिलन का एक महान त्यौहार है। शिवपुराण के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन महादेव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों के मुताबिक कहा जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण एवं अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। भक्त गण महादेव को प्रसन्न करने के लिए अपने-अपने तरीके से पूजा-अर्चना करते हैं। इस वर्ष 2023 में महाशिवरात्रि 18 फ़रवरी यानि कि मंगलवार को मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का पर्व की अहमियत इसलिए है क्योंकि यह शिव एवं शक्ति के मिलन की रात है। इस दिन सभी महदवे मंदिरों में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक चलता है तथा भक्त गण इस दिन व्रत भी रखते हैं। महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है जानिए इसके पीछे क्या घटना है…

1- शिवलिंग के स्वरुप में प्रकट हुए हुए थे भोलेनाथ:-
शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन महादेव पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के तौर पर शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने का प्रयास कर रहे थे किन्तु वह सफल नहीं हो सके। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी तरफ प्रभु श्री विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे किन्तु उन्हें भी आधार नहीं मिला।

2- द्वादश ज्योतिर्लिंग हुए थे प्रकट:-
शिव पुराण के मुताबिक, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग हैं। इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के तौर पर भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है तथा महादेव की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। साथ ही इन 12 ज्योतिर्लिंगों पर देश-विदेश से भक्त दर्शन करने आते हैं तथा यहां श्रद्धालुओं की लंबी- लंबी लाइन महाशिवरात्रि के दिन देखने को प्रत्येक वर्ष मिलती है।

3- शिव और शक्ति का हुआ था मिलन:-
महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के मुताबिक, माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का विवाह महादेव से हुआ। इसी वजह से इस दिन को अत्यन्त ही अहम माना जाता है।

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