जानिए कैसा है नेशनल सॉलिडेरिटी डे का इतिहास
जानिए कैसा है नेशनल सॉलिडेरिटी डे का इतिहास
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चीन और इंडिया के मध्य युद्ध का इतिहास वर्ष 1962 का है। इस युद्ध में इंडिया की सेना को हार को झेलना पड़ गया। जिसकी बहुत सी वजह सामने आई। उस वक्त रक्षा बल एवं सियासी बलों की वजह से भारत को हार को झेलना पड़ गया है। जिसमे बहुत से सैनिक शहीद हुए। जिसके परिणाम का प्रभाव इंडिया और चीन के लिए बहुत ही बुरा हुआ, खास कर के इंडिया के लिए। जिस दिन यह युद्ध शुरू हुआ, उस दिन को लोग राष्ट्रीय एकता दिवस के लिए आज भी याद  कर रहे है। इस युद्ध के इतिहास, इंडिया की विफलता और उसकी वजह यहाँ दर्शाई गई है।

भारत चीन युद्ध का इतिहास: इंडिया के इतिहास के पन्नो में दर्ज एक भयानक युद्ध जो इंडिया चीन के मध्य 1962 में हुआ है। इस युद्ध में इंडिया को हार का सामना करना पड़ गया, लेकिन यह युद्ध हमारे देश को कूटनीति का मतलब सीखा दिया गया है। जिसे तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरु समझ नहीं सके थे। उन्होंने खुद यह बात मानी थी, कि वे इसे महज एक सामान्य झगड़ा ही समझ रहे थे, जो  वार्तालाप के माध्यम से समाप्त हो सकता था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि भारत अपने ही बनाये दायरे में वास्तविक्ता से दूर था। कई हद तक हमारे सामने साक्ष्य मौजूद थे, पर हमने अनदेखा भी कर दिया है। इस युद्ध में हार के पीछे तात्कालिक गवर्नमेंट को कठघड़े में खड़ा किया गया, स्वयं राष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने ये आरोप सरकार पर लगाये। स्पष्ट कहा गया यह युद्ध लापरवाही का परिणाम भी रहा है।

इतिहास के कई पन्ने यह भी बोलते हैं कि सरदार वल्लभभाई पटेल  को हमेशा से चीन की नियत पर शक बनी हुई थी। वे उसे मुँह पर कुछ पीठ पीछे कुछ, ऐसा संबोधित करते थे। उन्होंने खुद इस बात का जिक्र पंडित जवाहर लाल नेहरू से भी किया, लेकिन नेहरू जी ने इस बात को भी अनदेखा भी कर दिया। शायद इन्ही लापरवाही के चलते चीन ने इंडिया पर आक्रमण किया और इंडिया को हार का मुख देखना पड़ा, लेकिन चीन के इस कदम से उसकी अंतराष्ट्रीय छवि पर गहरा आघात भी पंहुचा दिया है।

भारत चीन युद्ध कब हुआ था: चीन ने इंडिया पर 20 अक्टूबर 1962 को आक्रमण किया, यह युद्ध 21 नवंबर तक चला। इंडिया  को इस युद्ध में हार को झेलना पड़ गया है। 20 अक्टूबर का दिन हर वर्ष National Solidarity Day (China attacked India on that day) के तौर पर याद रखा जाता हैं। हालाँकि चीन ने 1959 से ही इंडिया पर छोटे-छोटे आक्रमण भी शुरू कर दिए थे। सीमा पर तनातनी का माहौल गहराने लगा था। शायद इसके पीछे की वजह थी कि उस समय इंडिया ने दलाई लामा को शरण दी थी और ये बात चीन को हजम नहीं हुई और उसने कहीं न कहीं युद्ध का मन बना लिया था।

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