उज्जैन: सिंहस्थ 2016 में कई साधु - संतों को उनके गुरूओं ने महामंडलेश्वर बनाया। ये संत अपने जीवन की साधना करने के साथ महामंडलेश्वर पद पर प्रतिष्ठित हुए। ऐसे में अग्नि अखाड़े की साध्वी कनकेश्वरी देवी को अखाड़े की पहली महिला महामंडलेश्वर के तौर पर पदवी दी गई। दरअसल उनका पट्टाभिषेक कर उन्हें महामंडलेश्वर बनाया गया। दरअसल उन्होंने केवल 9 वर्ष की आयु में ही संत जीवन को अपना लिया था। सांसारिक जीवन छोड़कर उन्होंने दीक्षा ली थी। वे अग्नि अखाड़े की पहली महिला महामंडलेश्वर के तौर पर पहचानी जा रही हैं।
दरअसल मां कनकेश्वरी देवी का जन्म गुजरात के मोरबी जिले का था। उनमें इतनी प्रतिभा है कि वे भगवान शिव के दर्शन के लिए ही साध्वी बनीं थीं। इस दौरान मोरबी में अग्नि अखाड़े के श्री महंत स्वामी केशवानंद से उनकी भेंट हुई। उन्होंने महामंडलेश्वर बनने के बाद कहा कि यह मेरी योग्यता का नहीं बल्कि यह मेरे गुरू का कृपा प्रसाद है। उन्होंने कहा कि महामंडलेश्वर बनने के बाद नाम जरूर बदल जाएगा लेकिन और कुछ भी नहीं बदलेगा।
सिंहस्थ क्षेत्र में मां कनकेश्वरी का पांडाल भूखी माता क्षेत्र में है। यहां की व्यवस्थाऐं इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला संभाल रहे हैं। यहां पर सिंहस्था सबसे बड़ा अन्न क्षेत्र संचालित हो रहा है। इंदौर में भी कनकेश्वरी देवी का आश्रम भव्य तरीके से निर्मित करवाया गया है।