आप सभी को बता दें कि पौष मास के कृष्णपक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं और इस बार यह एकादशी 1 जनवरी को यानी मंगलवार को है. ऐसे में धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत को करने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं. ऐसे में कहा जाता है कि इस एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं और विधिपूर्वक इस व्रत को करने से बहुत बड़ा लाभ मिलता है. ऐसे में मान्यता है कि जिस प्रकार नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरूड़, सब ग्रहों में चंद्रमा, यज्ञों में अश्वमेध और देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं ठीक वैसे ही सब व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि यह व्रत सभी को लाभ देता है. आइए बताते हैं इस व्रत की विधि और महत्व.
व्रत विधि - आप सभी को बता दें कि सफला एकादशी की सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें और फिर माथे पर चंदन लगाकर कमल अथवा फूल, फल, गंगा जल, पंचामृत व धूप-दीप से भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा एवं आरती करें. इसके बाद भगवान श्रीहरि के विभिन्न नाम-मंत्रों को बोलते हुए भोग लगाएं और पूरे दिन निराहार (बिना कुछ खाए-पिए) रहें, शाम को दीपदान के बाद फलाहार कर लें. इसी के साथ आप सभी को बता दें कि रात को वैष्णव संप्रदाय के लोग भगवान श्रीहरि का नाम-संकीर्तन करते हुए जागते हैं और सफला एकादशी की रात जागरण करने से जो फल प्राप्त होता है, वह हजारों वर्ष तक तपस्या करने पर भी नहीं मिलता, ऐसा धर्मग्रंथों में लिखा है.
जी हाँ, वहीं इसके बाद द्वादशी यानी 2 जनवरी, को भगवान की पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवा कर जनेऊ एवं दक्षिणा देकर विदा करने के बाद ही स्वयं भोजन करें. आप इस तरह सफला एकादशी का व्रत कर सकते हैं. इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.
अगर आपने भी घर के मुख्य द्वारा पर लगाई है गणेश जी की तस्वीर तो तुरंत करें यह काम...
हनुमान अष्टमी: आज जरूर चढ़ाए हनुमान जी को इस फूल की माला और रख लें एक फूल तिजोरी में...
मोटापे से परेशान हैं तो रविवार के लिए यहाँ बाँध लें काला धागा, होगा कमाल