सामाजिक डर से कई बच्चों की मौत
सामाजिक डर से कई बच्चों की मौत
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देशभर में बढ़ रहे अपराधों में कई बार तो सब कुछ सामान्य रहता है लेकिन कई बार हालात काफी ख़राब हो जाते है. ऐसा ही कुछ झारखण्ड और देश के आसपास के पिछड़े राज्यों से शहरों में काम करने आई लड़कियों के साथ हो रहा है. पहले यह लड़कियां दुष्कर्म का शिकार होकर गर्भवती हो जाती है लेकिन उसके बाद ही बच्चों के लिए बड़ी दिक्कतें शुरू हो जाती है. 

गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में झारखंड के गुमला जिले की 18 साल की अनिता ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया है, लेकिन उसके बाद ही उसने बच्ची को अपनाने से मना कर दिया. अनीता जहाँ पर काम करती थी वहीं के रसोइयां ने उसके साथ बलात्कार कर दिया लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि अनीता गर्भ से वो तुरंत छोड़कर भाग निकला. 

अनीता के मालिक ने पुलिस में कम्प्लेन दर्ज की, वहीं उसके बाद उसका इलाज और देखरेख की जिम्मेदारी मालिक ने ली. अनीता का इस बारे में कहना है कि बच्ची को लेकर मैं कहाँ जाउंगी, गाँव वालों को क्या जवाब दूंगी कोई शादी नहीं करेगा. शिशु हत्या और बच्चों को त्यागने के खिलाफ काम करने वाले एनजीओ अशरयानी फाउंडेशन की ‘पाल लो ना’ के तहत अब तक सैकड़ों बच्चों की जिम्मेदारी ली जिसमें कई बच्चों की मौत हो चुकी है. आजादी के बाद भी देश में कई जगह ऐसे हालात है जो देश को कहीं न कहीं शर्मसार करते है. 

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