मुस्लिम आबादी बढ़ी तो सरकारी स्कूलों पर थोप दिया गया मदरसा कल्चर, 70 स्कूलों के नियम बदले
मुस्लिम आबादी बढ़ी तो सरकारी स्कूलों पर थोप दिया गया मदरसा कल्चर, 70 स्कूलों के नियम बदले
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रांची: झारखंड में पिछले दिनों सरकारी स्कूलों को उर्दू स्कूलों में तब्दील किए जाने के कई मामलों ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। सामने आया है कि राज्य में जहाँ भी मुस्लिम बहुल इलाके हैं, वहाँ आबादी के आधार पर स्कूलों के नियम तय किए जा रहे हैं। यदि किसी स्कूल के बाहर उर्दू लिख दिया गया है, तो उसे उर्दू स्कूल मान लिया गया और वहाँ मुस्लिमों के हिसाब से साप्ताहिक अवकाश का दिन और प्रार्थना का तरीका बदल दिया गया। 

हालाँकि, अब पता चला है कि झारखंड के केवल 5 जिलों में ही 70 स्कूल ऐसे मिले हैं, जो सामान्य से उर्दू स्कूल में तब्दील कर दिए गए। इनमें 43 तो अकेले जामताड़ा में हैं, जबकि अन्य स्कूल गढ़वा, पलामू, गुमला और राँची में हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में इसका खुलासा किए जाने के बाद भी इस संबंध में कोई सुधार नहीं देखने को मिला है। हालात जस के तस हैं। छुट्टी भी रविवार की जगह जुमे (शुक्रवार) को ही होती है और प्रार्थना भी वही कराई जाती है जो मुस्लिम चाहें। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें पता चला कि सरकार के पास अधिसूचित उर्दू स्कूलों की तादाद तक मौजूद नहीं है और न ही सामान्य स्कूलों को उर्दू स्कूल बनने से रोकने के लिए कोई तंत्र है। यही कारण है कि जहाँ-जहाँ मुस्लिम जनसंख्या बढ़ती गई, वहाँ सामान्य स्कूल भी उर्दू स्कूल में बदल डाले गए और कोई सवाल तक न कर सका। अब हालात ये है कि सरकार सख्ती करना चाहती है। मगर, लोग डटे हुए हैं कि यदि एक बार उन्होंने स्कूलों के आगे उर्दू लिख दिया है, तो अब वो नहीं हटेगा।

जामताड़ा का अलगचुआं स्कूल को भी इसी तरह उर्दू स्कूल बना दिया गया है। वहाँ के अलीमुद्दीन अंसारी ने कहा कि उनकी पंचायत में 90 प्रतिशत मुसलमान आबादी हैं और स्कूल में भी केवल मुस्लिम बच्चे ही पढ़ते हैं, इसलिए उन्हें व्यवस्था बदले जाने से आपत्ति है। दुमका जिले के विद्यालय छालापाथर को भी उर्दू लिखकर उर्दू स्कूल बना दिया गया है। यहाँ के बच्चे हाथ बाँधकर प्रार्थना करते हैं और हेडमास्टर मोहम्मद जहाँगीर सफाई देते हैं कि उनके स्कूल में काफी समय से इसी तरह ही प्रार्थना होती आई है। कुछ स्कूलों के हेडमास्टर ने इस प्रकार सामान्य स्कूलों के उर्दू स्कूल में बदले जाने पर कहा कि संथाल समेत पूरे झारखंड में कई क्षेत्र हैं, जहाँ मुस्लिम जनसंख्या जब-जब बढ़ी तो उन लोगों ने विद्यालय प्रबंधन समिति को भरोसे में लेकर स्कूल के आगे उर्दू जुड़वा दिया और फिर यू-डायस पर भी इसे तब्दील करवा दिया गया। इसके बाद रविवार के स्थान पर यहाँ शुक्रवार की छुट्टी का नियम चल पड़ा और प्रार्थना हाथ जोड़कर होने की जगह हाथ बाँधकर की जाने लगी।

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